
राकेश टिकैत के आंसू आए काम, आंदोलन खत्म कराने पहुंची RAF-पुलिस टीम लौटी खाली हाथ
इस दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों यह रात इस आंदोलन के लिए निर्णायक होगी लेकिन इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया को संबोधित किया और फूट फूट कर रोए.

नई दिल्ली: 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन किसान आंदोलन के नाम पर राजधानी दिल्ली में जो कुछ किया गया पूरा देश उसका साक्षी है. ऐसे में अब किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ने लगा है. लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर बीते रात जंग की तैयारी तेज हो चली थी. यहां यूपी पुलिस, दिल्ली पुलिस और RAF के जवान गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटाने की तैयारी में थे. हालांकि गाजीपुर बॉर्डर पर देर रात तक हाईवोल्टेज ड्रामा चलता रहा. इस दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों यह रात इस आंदोलन के लिए निर्णायक होगी लेकिन इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया को संबोधित किया और फूट फूट कर रोए.
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बता दें कि गाजियाबाद प्रशासन ने यूपी गेट खाली करने के लिए प्रदर्शनकारियों को अल्टीमेटम दिया था. लेकिन राकेश टिकैत आंदोलन के समाप्त करने और वहां से हटने के लिए राजी नहीं थे. वे अपनी मांग पर अड़े रहे. इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें राकेश टिकैत फूट-फूटकर रोते दिखे. राकेश टिकैत के आंसू ही थे जिस कारण किसानों का इरादा बदल गया और नौबत यहां तक आ जाती है कि रात में ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की ओर कूच कर जाते हैं.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने प्रेस को रोते हुए और भावुकता के साथ संबोधित किया. उन्होंने कहा कि यहां अत्याचार हो रहा है लेकिन हमाना आंदोलन जारी रहेगा. इन कानूनों को वापस लिया जाए वरना राकेश टिकैत आत्महत्या करेगा. भाजपा पर आरोप लगाते हुए टिकैत ने कहा कि यहां भाजपा के विधायक 300 लोगों के साथ लाठी डंडे के साथ आए हुए हैं. किसानों को मारने की कोशिश की जा रही है. राकेश टिकैत ने इस दौरान सरेंडर करने की बात को नकार दिया और कहा कि वे सरेंडर नहीं करने वाले हैं. साथ ही लाल किले वाली घटना पर उन्होंने कहा कि जिसने भी तिरंगे के अलावा दूसरे झंडे को फहराया है उसकी सुप्रीम कोर्ट को जांच करनी चाहिए. इतना सब होने के बाद नतीजतन पुलिस की गाड़ियां वापस लौट गईं, साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स के जवान भी अपने वाहनों में बैठकर वापस आ गए.
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