
गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार नहीं कोई चीफ गेस्ट, जानें कब-कब हुआ ऐसा
5 दशकों में ऐसा पहली बार होगा जब किसी अन्य राष्ट्र के प्रमुख इस परेड में शामिल नहीं होंगे. हालांकि यह पहली बार नहीं हो रहा है जब हम अपना गणतंत्र दिवस बगै किसी विदेशी मेहमान के मना रहे हैं.

नई दिल्ली: आज पूरा भारतवर्ष गणतंत्र दिवस का पर्व मना रहा है. आज के दिन पूरी दुनिया भारत की शक्ति से वाकिफ होगी. 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर ऐसी बहुत चीजे होने जा रही हैं जो या तो बहुत कम बार हुई हैं या फिर कभी नहीं हुई है. आज राफेल राजपथ पर अपनी ताकत से दुश्मन देशों को रूबरू कराएगा. वहीं पिछले 5 दशकों में ऐसा पहली बार होगा जब किसी अन्य राष्ट्र के प्रमुख इस परेड में शामिल नहीं होंगे. हालांकि यह पहली बार नहीं हो रहा है जब हम अपना गणतंत्र दिवस बगै किसी विदेशी मेहमान के मना रहे हैं.
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बता दें कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि बनने को लेकर न्यौता भेजा गया था लेकिन ब्रिटेन में कोरोना महामारी के फैलने व दूसरे स्ट्रेन के आने के कारण वे आने में असमर्थ रहे. इस कारण इस साल गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं होगा.
बता दें कि 5 दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब गणतंत्र दिवस के अवसर पर कोई विदेशी मेहमान न शामिल हुआ हो. इससे पहले सन 1966 में गणतं दिवस परेड में कोई विदेशी मेहमान शामिल नहीं हुआ था. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि 11 जनवरी को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के अचानक निधन के बाद देश में राजनीतिक संकट पैदा हो गई थी. इसके बाद 24 जनवरी को इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी.
यही नहीं इसके अलावा सन 1952 और 1953 में भी भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में कोई विदेशी प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ था. बता दें कि 26 जनवरी के दिन ही संविधान लागू होने के पीछे की असल कहानी यह है कि इसी दिन सन 1929 में में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ था, इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सुशासन की बात को त्याग दिया था और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ केवल एक मांग रखी वह मांग थी पूर्ण स्वराज्य.
इसके बाद जब हमारे देश को आजादी दी गई तब हमारे पास हमारा संप्रभु संविधान नहीं था. इससे पहले भारत की शासन व्यवस्था ब्रिटिश कानूनों के तहत चलाई जा रही थी. जिसके बाद देश में एक संविधान सभा की स्थापना की गई और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. बाबा साहब ने 29 नवंबर 1949 को दुनिया के सबसे बड़े हस्त लिखित संविधान तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को दिया. इस संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया.
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