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1971 के शहीदों के प्रतीक राइफल और हेलमेट को इंडिया गेट से हटाया गया, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में स्थापित
1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के प्रतीक इन्वर्टेड राइफल और हेलमेट को इंडिया गेट से हटा दिया गया है.
नई दिल्ली: 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के प्रतीक इन्वर्टेड राइफल और हेलमेट को इंडिया गेट से हटा दिया गया है. इन्वर्टेड राइफल और हेलमेट को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के परम योद्धा स्थल ले जाया गया. इन्हें परमवीर चक्र विजेताओं की आवक्ष प्रतिमाओ के बीच स्थापित किया गया है. 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के स्मारक का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ एकीकरण पूरा हो गया है. इस समारोह का नेतृत्व चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ टू द चेयरमैन, चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी (सीआईएससी) एयर मार्शल वी.के. कृष्णा ने किया और इसमें सेना के तीनों अंगों के एडजुटेंड जनरल समकक्ष शामिल हुए.
समारोह में अंतिम सलामी दी गई और सीआईएससी ने इंडिया गेट पर पुष्पांजलि अर्पित की. उसके बाद वहां से इन्वर्टेड राइफल और हेलमेट को हटाया गया और रस्मी वाहन में परम योद्धा स्थल ले जाया गया एवं नए स्मारक में स्थापित किया गया. सीआईएससी और सेना के तीनों अंगों के एडजुटेंड जनरल समकक्षों ने नए स्मारक को सलामी दी.
वहीं, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 27 मई को कर्नाटक में कारवाड़ नौसेना बेस की यात्रा के दौरान भारतीय नौसेना के शक्तिशाली प्लेटफॉर्म में से एक आईएनएस खंडेरी पर समुद्र की यात्रा की. रक्षामंत्री को अत्याधुनिक कावेरी क्लास की सबमरीन की युद्ध क्षमताओं तथा आक्रामक शक्ति की प्रत्यक्ष जानकारी दी गई. रक्षामंत्री को चार घंटों से अधिक समय तक स्टेल्थ सबमरीन के जल के अंदर के अभियानों की पूर्ण क्षमताओं को दिखाया गया.
रक्षामंत्री ने कार्रवाई संबंधी अनेक अभ्यासों को देखा जिनमें सबमरीन ने एडवांस्ड सेंसर सुइट, युद्ध प्रणाली तथा हथियार क्षमताओं को दिखाया. ये क्षमताएं उपसतह क्षेत्र में पनडुब्बी को अलग लाभ प्रदान करती हैं. समुद्री यात्रा में रक्षामंत्री को शत्रु की रोधी पनडुब्बी कार्रवाई का जवाब देने में स्टेल्थ सबमरीन की क्षमताओं को भी दिखाया गया. इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार तथा भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
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