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RJD सांसद मनोज झा ने कहा- राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश के हालात का ज़िक्र नहीं हुआ, ऐसा न हो तो ये सिर्फ कागज़ का पुलिंदा

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज झा (Manoj Jha) ने राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण किसी दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अभिभाषण में कोविड- महामारी, रेलवे भर्ती को लेकर छात्रों का प्रदर्शन का जिक्र नहीं था.

Published: February 4, 2022 6:19 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Zeeshan Akhtar

RJD Manoj Jha

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज झा (Manoj Jha) ने राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण किसी दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अभिभाषण में कोविड- महामारी, रेलवे भर्ती को लेकर छात्रों का प्रदर्शन का जिक्र नहीं था. इसके साथ ही उन्होंने बिहार को एक बार फिर से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई. राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए कहा, बेवफा बावफा नहीं होता, वरना इतना बुरा नहीं होता. हमने तो सोचा था, बाद लुटने के यह पता चला कि रहजन रहनुमा नहीं होता. उन्होंने कहा, राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश का ब्लूप्रिंट होता है. देश की दिशा और दशा क्या है, राष्ट्रपति के अभिभाषण में अगर इस बात का जिक्र न हो तो ये बातें न होकर, भाषण महज एक कागज के पुलिंदा लगता है.

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मनोज झा ने रेलवे भर्ती बोर्ड में आये परिणाम को लेकर कथित तौर पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए छात्रों के प्रदर्शन पर कहा, छात्रों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए. वो किसी की जान नहीं मांग रहे थे. वे केवल नौकरी मांग रहे थे. वो भी 2 करोड़ नहीं उसमें से बची हुई कुछ नौकरियां मांग रहे थे. वहीं, कोरोना महामारी का जिक्र राष्ट्रपति के अभिभाषण में ना होने पर उन्होंने सर्वेशवर की एक पंक्ति का जिक्र करते हुए कहा, अगर तुम्हारे घर के एक कमरे में लाशें सड़ रही हों, तो क्या तुम दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो? अगर तुम्हारा जवाब हां है, तो मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना है.

उन्होंने कहा, वर्ष 1950 से लेकर आजतक किसी की भी सरकार में, मैं जानता हूं कि ये ( राष्ट्रपति का अभिभाषण) लिखा कहां जाता है. लेकिन राष्ट्रपति के अभिभाषण को दल या दलीय राजनीति से ऊपर होना चाहिए. इस अभिभाषण को नॉन पार्टीजन डॉक्यूमेंट बनाने की जरूरत है. उनजे सरोकार में देश का सरोकार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्व गवाह है कि जिन्होंने इतिहास की स्मृतियों के साथ छेड़छाड़ की, वे खुद इतिहास फुट नोट में दर्ज हो गए. उन्होंने कहा कि नेताजी को आपने (केंद्र) इम्पीरियल कैनोपी में रखने का प्रयास किया, वो होते तो कहते मुझे ‘दिलों में रखो’.

उन्होंने बीजेपी पर तंज करते हुए कहा कि मैंने नेताजी के बापू और नेहरू के नाम लिखे खत पढ़े हैं. एक बहुत बड़ा कद था नेताजी का.. नेहरू, बापू, पटेल का. बौनी समझ के लोग लम्बा इतिहास नहीं लिख सकते.. लम्बी लकीर नहीं खींच सकते. उन्होंने कहा कि साल 1952 का चुनाव हुआ था. देश कई तरह के दर्द से उभर रहा था लेकिन उस समय भी चुनाव समावेशी विकास, रोजगार के मुद्दे पर लड़ा गया था, मगर आज 70 साल बाद के चुनाव किस नाम पर होती है?

उन्होंने कहा, पाकिस्तान में चुनाव हमारे नाम पर नहीं होता, पर हमारे देश में पाकिस्तान के नाम पर चुनाव होता है. मैं तो सोच रहा हूँ कि जिन्ना कहीं होंगे तो सोच रहे होंगे कि जो जीते जी मैं जो नहीं कर पाया, बीजेपी वालों ने मरने के बाद दे दिया. जब महात्मा गांधी नोआखोली से लौटकर आये तो बाबू के मन मे बहुत पीड़ा थी. उन्होंने अपनी प्रार्थना किताब में- भजमन प्यारे सीताराम को बदलकर कर भजमन प्यारे राम रहीम कर दिया था. पर अब राम और रहीम, कृष्ण और करीम के बीच कटीली दीवार लगाई जा रही है. .. बापू का चश्मा लीजिए, बापू को चश्में में मत रखिए.

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