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नई दिल्ली: पंजाब के कांग्रेस नेता (Punjab’s Congress leader) व पूर्व क्रिकेटर ( former cricketer) नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने रोड रेज मामले में आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष नोटिस को लेकर अपना पक्ष अपने वकील के जरिए रखा है. सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 1988 के रोड रेज मामले में मुझे दी गई सजा की समीक्षा से संबंधित मामले में नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका प्रक्रिया का दुरुपयोग है. याचिकाकर्ताओं और सिद्धू की ओर से पेश अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
बता दें कि मामले में शीर्ष अदालत ने मई 2018 में सिद्धू को 65 वर्षीय बुजुर्ग को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध का दोषी ठहराया था. हालांकि, उसने सिद्धू को जेल की सजा नहीं सुनाई थी और उन पर 1,000 रुपए का जुर्माना लगाया था.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने पहले सिद्धू से उस याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसमें कहा गया है कि मामले में उनकी सजा केवल स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के छोटे अपराध के लिए नहीं होनी चाहिए थी. याचिकाकर्ताओं और सिद्धू की ओर से पेश अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
कांग्रेस नेता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने सुनवाई के दौरान पीठ से कहा, ”यह नकारात्मक अर्थों में एक असाधारण मामला है, जो आपके विचार करने लायक नहीं है, क्योंकि इसके आपराधिक न्याय की बुनियादी नींव को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है और इसलिए यह प्रक्रिया का दुरुपयोग भी है.” सिंघवी ने सर्वोच्च अदालत के मई 2018 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि गुरनाम सिंह की मौत के कारण के बारे में चिकित्सा साक्ष्य बिल्कुल अस्पष्ट थे.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने भी सुप्रीम कोर्ट के साल 2018 के फैसले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मृतक को लगी चोट के बारे में बताती है. लूथरा ने शीर्ष अदालत के दो पुराने फैसलों का हवाला दिया और कहा कि मामले पर पुनर्विचार की जरूरत है. याचिकाकर्ताओं और सिद्धू की ओर से पेश अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. (इनपुट: भाषा)
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