नई दिल्ली: एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) एक बार में 36 निशाने भेद सकती है और एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. भारत ने रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए शुक्रवार को इस प्रणाली की खरीद के लिए रूस के साथ सौदे पर हस्ताक्षर किए. Also Read - Indian Railways: पीएम मोदी आज आठ ट्रेनों को दिखाएंगे हरी झंडी, जानें क्यों हो रही इनकी चर्चा
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वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने कहा कि लंबी और मध्यम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली से वायुसेना को बेहद जरूरी ‘‘प्रोत्साहन’’ मिलेगा. यह प्रणाली स्टील्थ विमान और दूसरे हवाई लक्ष्यों सहित हवाई हमले को तबाह करने के लिए तैयार की गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के बाद जारी किए गए एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने भारत को सतह से हवा में वार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली एस-400 की आपूर्ति के लिए सौदे को अंतिम रूप देने का स्वागत किया.’’ Also Read - Russia: गर्लफ्रेंड के कहने पर राष्ट्रपति पुतिन दे सकते हैं इस्तीफा, इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे
पांच अरब डॉलर से ज्यादा कीमत की मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति सौदे पर हस्ताक्षर करने के 24 महीने बाद शुरू हो जाएगी. मिसाइल प्रणाली हासिल करने से भारत को अपने दुश्मनों खासकर पाकिस्तान और चीन के हवाई हमलों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी. सौदे पर हस्ताक्षर करना काफी महत्व रखता है क्योंकि चीन ने भी यह मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए रूस के साथ सौदे पर हस्ताक्षर किया है. एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) मनमोहन बहादुर ने कहा, ‘‘यह दुनिया में सबसे मारक हथियार प्रणाली है और यह चार अलग अलग तरह का वायु रक्षण मुहैया कराती है.’’
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हालांकि सौदा रूस, ईरान और उत्तर कोरिया को निशाना बनाने वाले अमेरिकी अधिनियम ‘‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’’ (सीएएटीएसए) के समीक्षा दायरे में आता है. भारत ने अमेरिका को वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने की अपनी जरूरत से वाकिफ कराया है. 1999 में यह प्रणाली कपुस्तिन यार प्रैक्टिस रेंज (अस्त्रखन क्षेत्र) में रूस के तत्कालीन रक्षा मंत्री इगोर सर्गेयेव के सामने पहली बार प्रदर्शित की गयी थी. 2000 के दशक में इस सबसे उन्नत वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का परीक्षण किया गया. यह अप्रैल, 2007 से इस्तेमाल की जा रही है.
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एस-400 एस-300पीएमयू2 वायु रक्षा मिसाइल कांप्लेक्स पर आधारित है. विशेषज्ञों ने बताया कि वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली में एक युद्धक नियंत्रण चौकी, हवाई लक्ष्यों का पता लगाने के लिए तीन कॉर्डिनेट जैम-रेजिस्टेंट फेज्ड एैरे रडार, छह-आठ वायु रक्षा मिसाइल कांप्लेक्स (12 तक ट्रांसपोर्टर लांचर के साथ) और साथ ही एक बहुपयोगी फोर-कॉर्डिनेट इल्यूमिनेशन एंड डिटेक्शन रडार), एक तकनीकी सहायक प्रणाली सहित अन्य टूल्स लगे हैं.
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एस-400 प्रणाली में हर ऊंचाई पर काम करने वाला रडार (डिटेक्टर) और एंटेना पोस्ट के लिए मूवेबल टावर भी लगाए जा सकते हैं. यह प्रणाली 600 किलोमीटर तक की दूरी तक लक्ष्यों का पता लगा सकती है और उसकी सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल पांच से 60 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को तबाह कर सकती है.
इनपुट: एजेंसी