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कश्मीर में भाईचारे की मिसाल! 75 साल बाद मुसलमानों ने कश्मीरी पंडितों को सौंपी शारदा पीठ की जमीन; मंदिर निर्माण शुरू

Sharda Peeth Temple: 1947 में बंटवारे के बाद प्राचीन शारदा पीठ मंदिर (Sharda Peeth Temple) और उसके पास स्थित गुरुद्वारा क्षतिग्रस्त हो गया था. तब से यह जमीन वीरान पड़ी थी.

Published: March 31, 2022 7:49 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Parinay Kumar

Sharda Peeth temple

Sharda Peeth Temple: ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की रिलीज के बाद कश्मीरी पंडितों पर फिर चर्चा शुरू हो गई हैं. कश्मीरी पंडितों से जुड़ीं कई खबरें आए दिन सुनने और देखने को मिलती रहती हैं. इन सबके बीच POK से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित जम्मू-कश्मीर के टिटवाल गांव में इन दिनों काफी हलचल है. यहां एक मस्जिद के साथ एक प्राचीन मंदिर और गुरुद्वारा का निर्माण किया जा रहा है, जो सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल है. 1947 में बंटवारे के बाद प्राचीन शारदा पीठ मंदिर (Sharda Peeth Temple) और उसके पास स्थित गुरुद्वारा क्षतिग्रस्त हो गया था. तब से यह जमीन वीरान पड़ी थी. इलाके के बहुसंख्यक समुदाय मुसलमान हैं, जिन्होंने जमीन के इस टुकड़े को जस का तस रखा. साल 2021 में वार्षिक शारदा पीठ यात्रा और पूजा के लिए नीलम नदी पहुंचने पर ग्रामीणों ने यह जमीन कश्मीरी पंडितों को सौंप दी.

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दिसंबर 2021 के महीने में इस भूमि पर पारंपरिक पूजा की गई और इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सेव शारदा समिति ने एक मंदिर निर्माण समिति का गठन किया. समिति में तीन स्थानीय मुस्लिम, एक सिख और कश्मीरी पंडित शामिल थे. उत्तरी कश्मीर के टिटवाल गांव में 28 मार्च को माता शारदा मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया. मंदिर के साथ-साथ गुरुद्वारा और मस्जिद का निर्माण भी शुरू हुआ है. सेव शारदा कमेटी (एसएससी) के पदाधिकारियों ने कहा कि हम यहां भाईचारे की मिसाल कायम करना चाहते हैं.

एसएससी के प्रमुख रविंद्र पंडित ने कहा, ‘हमें क्षतिग्रस्त मंदिर, धर्मशाला और गुरुद्वारा के अवशेष मिले हैं, जो 1947 में क्षतिग्रस्त हो गए थे. अच्छा होगा कि हम मंदिर, धर्मशाला और गुरुद्वारा का फिर से निर्माण करें. उन्होंने कहा कि लोग और प्रशासन पूरा सहयोग कर रहे हैं. जब हम वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए यहां आए, तो लोगों ने हमें यह भूमि वापस दे दी और हमने इसका सीमांकन किया और फिर से मंदिर बनाने का फैसला किया. हमने मंदिर निर्माण समिति बनाई, जिसमें तीन मुस्लिम, एक सिख और बाकी कश्मीरी पंडित हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘मैं यहां के लोगों का पूरा समर्थन देख सकता हूं. यह एक पुनर्वास योजना भी हो सकती है. हम चाहते हैं कि यहां शारदा सेंटर भी बनाया जाए, ताकि लोगों को इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में पता चले.

एसएससी के प्रमुख रविंद्र पंडित ने कहा, ‘शारदा यात्रा मंदिर समिति (एसवाईटीसी) ने कश्मीर में तीतवाल क्षेत्र में एलओसी पर प्राचीन शारदा मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है.’ उन्होंने कहा, ‘निर्माण स्थल पर एक पूजा हुई, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए कश्मीरी हिन्दुओं ने भाग लिया.’ उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सिखों और स्थानीय लोगों ने भाग लिया. समिति ने भूमि का सीमांकन करने के बाद दिसंबर 2021 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी. मंदिर की परिकल्पना और मॉडल को पहले ही दक्षिण श्रृंगेरी मठ से मंजूरी मिल गई है और मंदिर में लगने वाले ग्रेनाइट के पत्थरों पर शिल्प का काम कर्नाटक के बिदादी में शुरू हो गया है.

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