बिहार में चुनाव के अभी से दिख रहे साइड इफेक्ट, कहीं उमड़ रहा प्यार तो कहीं पड़ी दरार

इस बार बिहार में विधानसभा का चुनाव कोरोना काल में हो रहा है. चुनाव की तारीखों की घोषणा भी हो चुकी है. इस बार चुनाव से पहले कई बडे़ बनते बिगड़ते समीकरण दिख रहे हैं. कहीं कोई नाराज है तो कहीं दुश्मनी भुलाकर दोस्ती का खुलेदिल से स्वागत हो रहा है.

Published: September 25, 2020 8:03 PM IST

By Kajal Kumari

बिहार में चुनाव के अभी से दिख रहे साइड इफेक्ट, कहीं उमड़ रहा प्यार तो कहीं पड़ी दरार

बिहार चुनाव: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) की तारीखें आज घोषित हो गईं, जिसके मुताबिक इस बार तीन चरणों में ही मतदान संपन्न करा लिए जाएंगे. चुनाव का रिजल्ट भी उसके बाद जल्द ही जारी कर दिया जाएगा. इस तरह से बिहार में विधानसभा चुनाव की अब उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. एनडीए ने अपना मुख्यमंत्री का उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिया था, लेकिन अभी महागठबंधन में सीएम फेस पर मारामारी चल रही है.

पिछले विधानसभा के चुनाव में महागठबंधन को मिली जीत और उसके बाद महागठबंधन में हुई टूट के बाद इस बार बिहार में कई सारे बड़े समीकरण नजर आ रहे हैं. एनडीए की बात करें तो उसमें उसके पुराने सहयोगी एक बार फिर एकजुट दिख रहे हैं तो वहीं महागठबंधन में राजद-कांग्रेस के अलावे जो भी दल शामिल हैं वो कब महागठबंधन से निकल जाएंगे, ये कहा नहीं जा सकता है.

कौन बनेगा मुख्यमंत्री, एनडीए का तय, महागठबंधन में रार

एनडीए ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि गठबंधन नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा, इसे लेकर लोजपा से जदयू की अनबन के बीच लोजपा ने चिराग को सीएम का चेहरा बता दिया है. एनडीए में बड़ी दरार आ सकती है जब चिराग पासवान की पार्टी लोजपा साथ छोड़ दे. लेकिन इसके बदले दलित वोट साधने के लिए जदयू ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी को गठबंधन में शामिल कर लिया है.

महागठबंधन में अबतक नेता कौन होगा,इसका फैसला नहीं हुआ है. राजद तेजस्वी को नेता बता रही है तो कांग्रेस ने इसपर अभी हामी नहीं भरी है. वहीं महागठबंधन में शामिल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने अपना कड़ा तेवर दिखाते हुए तेजस्वी को नेता मानने से इंकार कर दिया है और नीतश कुमार की तारीफ की है. रालोसपा ने महागठबंधन छोड़ने का भी फैसला कर लिया है.

इधर चिराग उधर कुशवाहा-कौन किसके साथ…

एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और लोजपा में भी अनबन चल रही है और लोजपा सुप्नीमो चिराग पासवान नीतीश कुमार को लेकर काफी नाराज रहे हैं और जदयू ने भी नीतीश कुमार से खिलाफत करने पर उनपर तंज कसा है. सीटों को लेकर अगर बात नहीं बनती है तो चिराग पासवान एनडीए से अलग हो सकते हैं.

उधर, कुशवाहा और इधर चिराग. दोनों की नाराजगी के बीच ये भी बात सामने आ रही है कि बिहार में कोई तीसरा मोर्चा भी बन सकता है जिसकी पूरी संभावना है. वहीं जन अधिकार पार्टी के पप्पू यादव भी इस बार जोर-शोर से चुनाव मैदान में कूद पडे़ हैं. उन्होंने बिहार को बदलने का संकल्प लिया है और कहा है कि एक बार मौका दें तो हम बदलाव की नयी बयार बहाएंगे.

किसके सामने इस बार क्या है चुनौती…

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने 15 साल के विकास को लेकर जनता के सामने हैं, लेकिन इस बार उनके 15 साल के काम से जनता ज्यादा प्रभावित नहीं दिख रही है, ऐसे में उनके लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी. हालांकि कमजोर विपक्ष और मजबूत दोस्ती का उन्हें फायदा इस बार फिर से मिलेगा.

वहीं नेता प्रतिपक्ष और राजद के नेता तेजस्वी के लिए इस बार लालू की अनुपस्थिति में होने जा रहे चुनाव में कई तरह की चुनौतियों से जूझना होगा. उन्हें लोगों का भरोसा जीतना होगा. उन्हें एक तरफ तो सबसे पहले अपनी पार्टी को एकजुट करना होगा तो दूसरी तरफ गठबंधन सहयोगियों को सीट शेयरिंग में भी साधना होगा. इस तरह से उनकी चुनौतियां भी कम नहीं हैं.

इस बार चुनाव प्रचार भी केवल वुर्चुअल होगा, ऐसे में राजनीतिक दलों को मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने में काफी मशक्कत करनी होगी तो वहीं निर्वाचन आयोग को भी कोरोना काल में बिहार जैसे राज्य में चुनाव की पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूप से अंजाम तक पहुंचाने में काफी मशक्कत करनी होगी.

Also Read:

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें Bihar की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.