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UPSC: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा, UPSC Exam में अभ्यर्थियों को एक और मौका देने पर विचार करें

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड​​ के कारण यूपीएससी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाने वाले अ‍भ्‍यर्थियों को एक और अतिरिक्त प्रयास का मौके के लिए सरकार से समिति की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए कहा

Published: March 31, 2022 7:40 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

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(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को केंद्र सरकार से (Center) से कहा कि वह संसदीय समिति की रिपोर्ट में हाल में की गई सिफारिश के मद्देनजर अभ्यर्थियों को संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) से यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में एक और मौका (Extra effort in UPSC exam) देने पर विचार करे.

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कुछ अभ्यर्थियों के प्रतिवेदन पर विचार करने के लिए कहा जो कोविड​​-19 से संक्रमित होने के बाद ‘यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा (UPSC Mians)’ में शामिल नहीं हो सके और अब एक अतिरिक्त प्रयास की मांग कर रहे हैं.

समिति ने 24 मार्च की रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान छात्र समुदाय को होने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, सरकार को अपना विचार बदलने और सिविल सेवा परीक्षा (CSE) उम्मीदवारों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और सभी उम्मीदवारों को संबंधित आयु छूट के साथ एक अतिरिक्त प्रयास प्रदान करने की सिफारिश करती है.

केंद्र ने पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत को बताया था कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त प्रयास संभव नहीं है.

जस्टिस एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति ए एसओका और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ यूपीएससी 2021 की प्रारंभिक परीक्षा पास कर चुके उन तीन अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो कोविड संक्रमित पाए जाने के बाद मुख्य परीक्षा के सभी पेपरों में शामिल नहीं हो सके थे और अब अतिरिक्त मौका दिए जाने की मांग कर रहे हैं.

मामले में हस्तक्षेपकर्ता के रूप में पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत को संसदीय समिति की रिपोर्ट से अवगत कराया. इस पर पीठ ने पूछा, क्या सरकार ने फैसला लेने से पहले इस पर (समिति की रिपोर्ट पर) विचार किया? वहीं, केंद्र की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि उनके पास इस बारे में निर्देश नहीं हैं.

पीठ ने कहा, ”आप इस सिफारिश के आलोक में इस पर विचार कर सकते हैं.” इसके साथ ही कहा कि सरकार अपना विचार बदल सकती है. पीठ ने याचिकाकर्ताओं और हस्तक्षेप करने वाले को प्राधिकरण को प्रतिवेदन देने को कहा जो समिति की रिपोर्ट के आलोक में इस पर विचार करेगा.

पीठ ने कहा, ”संसदीय समिति की सिफारिश के आलोक में, हम याचिकाकर्ताओं और अन्य व्यक्तियों द्वारा किए गए प्रतिवेदनों की फिर से जांच करने और उचित निर्णय लेने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी को निर्देश के साथ इस याचिका और आवेदन को निस्तारित करते हैं. ” शीर्ष कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने इस मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है. (इनपुट: भाषा) 

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