
एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं माननीय, सुप्रीम कोर्ट में 'एक उम्मीदवार, एक सीट' की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने उस PIL को खारिज कर दिया, जिसमें उम्मीदवारों को एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें उम्मीदवारों की एक से अधिक सीटों से उम्मीदवारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर कहा कि यह एक विधायी मुद्दा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक उम्मीदवार को एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ने की अनुमति देना एक विधायी नीति का मामला है. क्योंकि यह संसद की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है कि क्या वह राजनीतिक लोकतंत्र में ऐसा विकल्प जारी रखना चाहते हैं या नहीं.
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ज्ञात हो कि लंबे समय से ऐसी मांग होती रही है. क्योंकि जब कोई उम्मीदवार एक से ज्यादा सीटों से चुनाव लड़ता है और वह दो या दो से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करता है तो उसे बाकी सीटों को छोड़कर एक सीट का चुनाव करना पड़ता है. ऐसे में छोड़ी गई सीटों पर फिर से चुनाव कराया जाता है. जिसमें करदाताओं के पैसों का एक तरह से दुरुपयोग होता है.
इसके अलावा इलेक्शन मशीनरी को अतिरिक्त काम करना पड़ता है. चुनाव आयोग को उन छोड़ी गई सीटों पर चुनाव कराना पड़ता है, इसके लिए चुनाव अधिकारी से लेकर मतदान केंद्र और सुरक्षाबलों तक की पूरी व्यवस्था फिर से करनी पड़ती है. जबकि एक से अधिक सीटों पर चुनाव जीतकर किसी एक सीट का चुनाव करने वाले उम्मीदवार को इसमें कोई नुकसान नहीं झेलना पड़ता और न ही उनके लिए कोई दंडात्मक प्रावधान है.
लंबे समय से एक उम्मीदवार, एक सीट की मांग होती रही है. चुनाव आयोग भी समय-समय पर एक उम्मीदवार, एक सीट के लिए कानून बनाने की मांग करता रहा है. चुनाव आयोग भी चाहता है कि लोगों को एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने से रोका जाए और अगर ऐसा नहीं होता है तो जीत मिलने पर किसी एक सीट को छोड़कर क्षेत्र को उपचुनाव में धकलने वाले उम्मीदवार पर मोटा फाइन लगाना चाहिए.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल ही में इस संबंध में कानून मंत्रालय में विधायी सचिव से बात की. बता दें कि इस रिफॉर्म को पहली बार साल 2004 में प्रस्तावित किया गया था. ज्ञात हो कि चुनाव आयोग से जुड़े मामलों में विधायी विभाग सरकार की मुख्य नोडल एजेंसी है.
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