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Train Accident Update: बालासोर ट्रेन हादसे में करंट लगने से 40 यात्रियों के मौत की आशंका, शवों पर चोट के कोई भी निशान नहीं
Balasore Train Accident Update: एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रेन हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस से बरामद करीब 40 शवों पर किसी तरह की चोट का निशान नहीं पाया गया है. माना जा रहा है कि उनकी मौत करंट लगने से हुई है.
Balasore Train Accident Update: ओडिशा के बालासोर जिले में हुए भीषण रेल हादसे में 278 लोगों की जान चली गई और 1200 से ज्यादा लोग घायल हो गए. हादसे की जांच का जिम्मा सीबीआई ने संभाल लिया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने ट्रेन हादसे की CBI जांच की सिफारिश की थी.’ इन सबके बीच एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रेन हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस से बरामद करीब 40 शवों पर किसी तरह की चोट का निशान नहीं पाया गया है. माना जा रहा है कि उनकी मौत करंट लगने से हुई है. न्यूज एजेंसी PTI ने GRP के हवाले से इसकी जानकारी दी.
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बालासोर में GRP थाने में दर्ज प्राथमिकी में संकेत दिया गया है कि ऊपर से जा रहे तारों के दुर्घटना के बाद टूटने और उनके कुछ डिब्बों में फंसने की वजह से यात्रियों को करंट लगा. पुलिस उपनिरीक्षक पी कुमार नायक ने बताया कि कई यात्रियों की मौत चोट लगने और ऊपर से जा रहे तारों के संपर्क में आने से करंट लगने की वजह से हुई है. अधिकारियों ने कहा कि दुर्घटना के बाद डिब्बों के पलटने से बिजली के खंभे गिर पड़े जिससे ऊपर से जा रहे तार टूट गए. बालासोर में शुक्रवार को तीन ट्रेन हादसे का शिकार हुई थीं. हावड़ा-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और खड़ी हुई माल गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई.
CBI ने शुरू की जांच
सीबीआई ने रेल हादसे में कथित आपराधिक लापरवाही को लेकर मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी. अधिकारियों ने बताया कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ CBI अधिकारियों की एक टीम सोमवार को ओडिशा के बालासोर जिले में पहुंच गई थी और मंगलवार दोपहर प्राथमिकी दर्ज करने के तुरंत बाद जांच शुरू कर दी गई. उन्होंने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करना CBI जांच का शुरुआती बिंदु है, क्योंकि एजेंसी इसके बिना कोई दस्तावेज या सामग्री एकत्र नहीं कर सकती, गवाहों से पूछताछ नहीं कर सकती, बयान दर्ज नहीं कर सकती या तलाशी नहीं ले सकती.
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अधिकारियों को शुरुआती जांच में ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम’ के साथ छेड़छाड़ का संकेत मिलने और दुर्घटना के पीछे ‘तोड़फोड़’ की आशंका जताए जाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई. ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम’ के जरिए ट्रेन की मौजूदगी का पता लगता है.
फॉरेंसिक विशेषज्ञों की ली जा सकती है मदद
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी को मामले की तह तक जाने के लिए रेल सुरक्षा और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता हो सकती है. प्रक्रिया का पालन करते हुए, केंद्रीय एजेंसी ने तीन जून को राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) कटक द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 337, 338, 304ए (लापरवाही के कारण हुई मौत) और 34 (समान मंशा), और रेलवे अधिनियम की धारा 153 (रेलवे यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने वाला कृत्य), 154 और 175 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में जांच की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली.
(इनपुट: एजेंसी)
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