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समान नागरिक संहिता असंवैधानिक, इसे देश के मुसलमान स्वीकार नहीं करेंगे: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद रहमानी ने बयान जारी कर कहा, यह असंवैधानिक कदम है और मुसलमान किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे

Updated: April 26, 2022 10:47 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

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(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने बीजेपी शासित कुछ राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू (Uniform Civil Code) करने को लेकर शुरू हुई कवायद के बीच मंगलवार को कहा कि यह असंवैधानिक (unconstitutional) कदम होगा और इसे देश के मुसलमान स्वीकार नहीं करेंगे (Muslims will not accept Uniform Civil Code). पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह ऐसा कोई कदम उठाने से परहेज करे.

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भारत का संविधान हर नागरिक को अपने धर्म के मुताबिक जीवन जीने की अनुमति देता है

पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव ने एक बयान में कहा, ”भारत का संविधान हर नागरिक को अपने धर्म के मुताबिक जीवन जीने की अनुमति देता है और यह मौलिक अधिकार भी है. इसी अधिकार के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों को उनकी रीति-रिवाज, आस्था और परंपरा के अनुसार अलग पर्सनल लॉ की अनुमति है.” उनके मुताबिक, पर्सनल लॉ किसी तरह से संविधान में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि यह अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच परस्पर विश्वास को कायम रखने में मदद करता है.

असामायिक बयानबाजी बढ़ती बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों से भटकाना है

रहमानी ने दावा किया, ”उत्तर प्रदेश या उतराखंड सरकार अथवा केंद्र सरकार की ओर से समान नागरिक संहिता की बात करना असामायिक बयानबाजी भर हैृ. हर कोई जानता है कि उनका उद्देश्य बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों का समाधान करना नहीं है. समान नागरिक संहिता का मुद्दा असल मुद्दों से ध्यान भटकाने और नफरत एवं भेदभाव के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए लाया जा रहा है.

यह असंवैधानिक कदम है और मुसलमान किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे

पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद रहमानी ने कहा, यह असंवैधानिक कदम है और मुसलमान किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी (बयानबाजी) कड़ी निंदा करता है और सरकार से ऐसे कदम उठाने से परहेज करने का आग्रह करता है.

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर एक्‍सपर्ट कमेंटी बनाने का फैसला

बता दें कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर मसौदा तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने बाबत उठाए गए कदम को एक अच्छी पहल करार दिया और कहा कि इस विचार को उनके राज्य में कैसे लागू किया जा सकता है, इस बारे में अध्ययन किया जा रहा है. (इनपुट: भाषा)

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