UP Election 2022: यूपी में 'भागीदारी परिवर्तन मोर्चा' बना, ओवैसी, बाबू सिंह कुशवाहा और मेश्राम मिलकर लड़ेंगे चुनाव

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) और जन अधिकार पार्टी (Jan Adhikar Party) के बाबू सिंह कुशवाहा (Babu Singh Kushwaha) ने वामन मेश्राम के साथ मिलकर नया गठबंधन 'भागीदारी परिवर्तन मोर्चा' बनाने का ऐलान किया है.

Published: January 22, 2022 8:49 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Zeeshan Akhtar

AIMIM chief Asaduddin Owaisi
AIMIM chief Asaduddin Owaisi (File Photo)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए  ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ बनाया गया है. आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) और जन अधिकार पार्टी (Jan Adhikar Party) के बाबू सिंह कुशवाहा (Babu Singh Kushwaha) ने बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटी इंप्लाई फेडरेशन के अध्यक्ष वामन मेश्राम के साथ मिलकर नया गठबंधन ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ बनाने का ऐलान किया है. तीनों नेताओं ने लखनऊ में नये गठबंधन की घोषणा की और दावा किया कि ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ राज्य की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा. ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ का संयोजक बाबू सिंह कुशवाहा को बनाया गया है.

ओवैसी ने पत्रकारों से कहा कि उनके गठबंधन को बहुमत मिलने पर राज्‍य में दो मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे जिनमें एक दलित समुदाय से होगा जबकि दूसरा ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय से होगा. उन्होंने कहा कि इसके अलावा तीन उप मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे जिनमें एक मुस्लिम समुदाय से होगा. जब ओवैसी से पूछा गया कि दो मुख्यमंत्री कब बनेंगे तो उन्होंने कहा कि ढाई-ढाई साल के लिए एक दलित और एक अन्य पिछड़ा वर्ग का मुख्यमंत्री होगा.

बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा कि उनके गठबंधन के दरवाजे बंद नहीं हैं और अभी दूसरे दल भी आ सकते हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच जो लड़ाई है वह अब ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ और भाजपा के बीच होगी और सपा गठबंधन तीसरे स्थान पर चला जाएगा. कुशवाहा ने कहा कि वह राज्‍य में पिछले चार माह से लगातार सम्मेलन कर रहे हैं.

वामन मेश्राम ने कहा कि सरकार बनने पर तीन उप मुख्यमंत्री होंगे जिनमें एक मुस्लिम समुदाय से होगा और बाकी दो समुदाय के नाम जल्द घोषित कर दिए जाएंगे. इन नेताओं ने ‘जिसकी जितनी संख्या भारी-उसकी उतनी हिस्सेदारी’, नारा दोहराते हुए वादा किया कि सरकार बनने पर जातीय जनगणना कराई जाएगी और एक समान अनिवार्य व नि:शुल्‍क शिक्षा व्यवस्था लागू होगी.

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने का वादा करते हुए मोर्चा की ओर से पुरानी पेंशन बहाल करने का भी दावा किया गया. मोर्चा ने पिछड़ों को मेडिकल सहित सभी क्षेत्रों में आरक्षण लागू करने, किसानों को गन्‍ने मूल्‍य का भुगतान, छोटे, मझोले किसानों, दुकानदारों, व्यापारियों का कर्ज व बिजली का बिल माफ करने के वादे के साथ कानून-व्यवस्था सुदृढ़ करने का भी संकल्प दोहराया.

भागीदारी परिवर्तन मोर्चा के नेताओं ने नई शिक्षा नीति का विरोध करते हुए यह भी कहा कि ऐसे कानून जो देश के पिछड़े, दलित, किसान, मजदूर एवं अल्पसंख्यकों को शिक्षा से वंचित करते हों, उन्हें तुरंत समाप्त किया जाएगा. महिलाओं की सुरक्षा का वादा करते हुए उनके साथ हुए अन्याय व अत्याचार के निवारण के लिए नेताओं ने सरकार बनने पर विशेष अदालत का गठन करने की घोषणा की. पेट्रोल-डीजल पर अधिरोपित कर समाप्त करने के साथ ही कई और वादे दोहराये. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई में ‘भागीदारी संकल्प मोर्चा’ का गठन हुआ था जिसमें ओवैसी और कुशवाहा के अलावा कई छोटे दल शामिल हुए थे. बाद में राजभर समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गये थे. 2017 में राजभर ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन किया था और उनकी पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली थी.

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