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वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कही ये बात, ऐसा रहा उनका सियासी सफर

दो बार राजस्थान की सीएम, केंद्र सरकार में मंत्री समेत पांच बार सांसद में रह चुकी हैं

Published: December 11, 2018 9:44 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कही ये बात, ऐसा रहा उनका सियासी सफर
जयपुर में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे अपनी पार्टी की हार स्वीकार करते हुए कहा, '' मैं कांग्रेस को बधाई देना चाहती हूं. मैं लोगों द्वारा इस जनादेश को स्वीकार करती हूं. (फोटो-एएनआई)

जयपुर: राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद मंगलवार रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल कल्याण सिंह को सौंपा. राजभवन के प्रवक्ता ने बताया, ”राजे ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा.” उन्होंने जीत के कांग्रेस को बधाई दी. राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ बीजेपी को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा है. राजस्थान में पिछले कुछ विधानसभा चुनावों के नतीजे दिखाते हैं कि मतदाता किसी एक पार्टी को लगातार दो बार सत्ता में आने का मौका नहीं देते और कांग्रेस और भाजपा को वैकल्पिक रूप से चुनते रहे हैं.

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जयपुर में राजस्थान सीएम वसुंधरा राजे अपनी पार्टी की हार स्वीकार करते हुए कहा, ” मैं कांग्रेस को बधाई देना चाहती हूं. मैं लोगों द्वारा इस जनादेश को स्वीकार करती हूं. बीजेपी ने इन 5 वर्षों में उनके लिए बहुत कुछ किया है. मुझे आशा है कि अगली पार्टी उन नीतियों को आगे बढ़ाएंगी और आगे काम करेगी.

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने क्षेत्र झालरापाटन से भले ही जीत गई हों, लेकिन उनकी पार्टी राज्य की सत्ता में लौटने में नाकाम रही है. चुनावों के नतीजे आने और बीजेपी की हार स्पष्ट दिखने के बीच वसुंधरा जयपुर में भाजपा मुख्यालय गई. लेकिन इस दौरान उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की. मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका दूसरा कार्यकाल था.

दो बार राजस्थान की सीएम रहीं
2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे का जन्म आठ मार्च 1953 को ग्वालियर के अंतिम महाराजा जिवाजी राव सिंधिया और विजयराजे सिंधिया के यहां हुआ था. विजयराजे सिंधिया भाजपा की प्रमुख नेता थीं. 2008 से 2013 के बीच वसुंधरा विपक्ष की नेता रहीं.

भीड़ जुटाने वाली नेता
राजस्थान के पूर्वी हिस्से के धौलपुर राजघराने की बहू बनने के बाद उनका राजस्थान से गहरा नाता शुरू हुआ. हिंदी और अंग्रेजी दोनों में समान रूप से दक्ष 65 वर्षीय वसुंधरा उन नेताओं में हैं जो भीड़ जुटा सकती हैं. वह विभिन्न मुद्दों पर अपनी अलग राय भी रखती रही हैं.

राजनीतिक सफर में कई चुनौतियों का सामना
पिछले हफ्ते ही उन्होंने पूर्व जदयू नेता शरद यादव पर निशाना साधा था. यादव ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन वसुंधरा के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. वसुंधरा ने कहा था, ”मैं अपमानित महसूस कर रही हूं. यह महिलाओं का अपमान है.” उन्होंने कहा कि वह बिल्कुल चकित रह गई थीं और ऐसे अनुभवी नेता से इस प्रकार की टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी. संभवत: यह तथ्य है कि अपनी स्पष्टवादिता से उन्हें अपने राजनीतिक सफर में कई चुनौतियों का सामना करने में मदद मिली.

पांच बार सांसद रहीं, कार्यशैली की आलोचना भी हुई
पांच बार संसद सदस्य रहीं वसुंधरा की कार्यशैली को लेकर बीजेपी के भीतर और बाहर भी सवाल उठते रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवारी ने खुलेआम उनकी आलोचना की थी और आलाकमान से उनकी शिकायत कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. हालांकि, उन्हें ही इस साल जून में पार्टी से अलग होना पड़ा.

कोडइकनाल और मुंबई से की पढ़ाई
वसुंधरा के जन नेता होने के बाद भी कइयों की यह शिकायत रहती है कि उनका आम लोगों से संपर्क नहीं रहता. वसुंधरा ने अपनी स्कूली शिक्षा तमिलनाडु के कोडइकनाल से पूरी की और मुंबई विश्वविद्यालय के सोफिया कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक तक की पढाई की.

युवा मोचा से लेकर केंद्रीय
1984 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी की सदस्य नियुक्त होने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. एक साल बाद 1985 में उन्हें राजस्थान बीजेपी युवा मोर्चे की उपाध्यक्ष बनाया गया. उसी साल वह आठवीं राजस्थान विधानसभा के लिए चुनी गई. पांच बार लोकसभा सदस्य रह चुकीं वसुंधरा लघु उद्योग, कृषि और ग्रामीण उद्योग, कार्मिक और प्रशिक्षण, पेंशन, परमाणु उर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग का कार्यभार भी संभाला है.

अमित शाह के साथ मतभेद की खबरें आती रहीं
ऐसी अफवाहें थीं कि उनका बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ मतभेद है. लेकिन इन अफवाहों के बीच ही वसुंधरा ने राज्य में भाजपा के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया और गौरव यात्रा की. कांग्रेस ने इसे ‘विदाई यात्रा’ करार दिया था. लेकिन वह अविचलित थीं. आम लोगों की मदद से गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी सरकार की पहल जल स्वावलंबन अभियान खासी चर्चित रही.

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Published Date: December 11, 2018 9:44 PM IST