निजामुद्दीन मरकज में जो कुछ भी हुआ, वह राष्ट्र और मानवता के खिलाफ अपराध है: आरिफ मोहम्मद खान

केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दिल्‍ली में तबलीगी जमात के धार्मिक नेताओं के भाषण आपराधिक प्रकृति का बताया

Published: April 1, 2020 7:14 PM IST

By Laxmi Narayan Tiwari

निजामुद्दीन मरकज में जो कुछ भी हुआ, वह राष्ट्र और मानवता के खिलाफ अपराध है: आरिफ मोहम्मद खान
(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: देश में कोरोरा वायरस के नियंत्रण के लिए लागू किए गए निर्देशों को धता बताकर दिल्‍ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के आयोजन पर बढ़े विवाद के बीच केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान ने भारी नाराजगी जताते हुए कहा है कि यह राष्‍ट्र और मानवता के खिलाफ अपराध है.

राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान ने कहा, दिल्‍ली के निजामुद्दीन के मरकज में जो हुआ वह बिलकुल नीचता है. यह राष्‍ट्र और मानवता के प्रति अपराध है. जो भाषण वहां दिए गए थे, उनकी प्रकृति भी आपराधिक है, जहां सोशल डिस्‍टेंसिंग को एक षड़यंत्र बताया गया है.

दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, मरकज से लाए गए लोगों में से 536 को अस्‍पतालों में भर्ती कराया गया है और 1810 लोगों को आइसोलेशन/ क्‍वारंटीन में रखा गया है. इस तरह 2346 लोगों को मरकज से बाहर लाया गया है. वहीं, दिल्ली में तबलीगी जमात के आयोजन में शामिल हुए लोगों में से 110 के तमिलनाडु में संक्रमित होने की पुष्टि, राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 234 हो गई है, जबकि तेलंगाना में एक दिन पहले ही जमात में शामिल हुए पांच लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है.

बता दें कि भारत में कोरोना वायरस से हुई कुल 39 में से एक चौथाई मौतों को नई दिल्ली के निजामुद्दीन में इस्लामी प्रचारकों के आयोजन से जोड़ा रहा है, जिसके बाद तबलीगी जमात के आयोजक विभिन्न दिशा-निर्देशों के उल्लंघन को लेकर अधिकारियों के निशाने पर आ गए हैं.

मार्च की शुरुआत में निजामुद्दीन इलाके में स्थित बंगले वाली मस्जिद में जमातियों का इज्तिमा हुआ. यहीं पर जमात का मरकज यानी केन्द्र स्थित है. इस इज्तिमे में इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमा, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिस्तान से आए 800 के अधिक विदेशी नागरिकों ने शिरकत की.

सरकार के अनुसार एक जनवरी के बाद से 70 देशों से 2 हजार से अधिक विदेशी जमात की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे, इनमें से एक हजार से अधिक विदेशी निजामुद्दीन में ही रुक गए. इनमें से कई के पास छह महीने का पर्यटन वीजा है.

विवाद तब खड़ा हुआ, जब इज्तिमे में शिकरत कर तेलंगाना जा रहे एक इंडोनेशियाई नागरिक की मौत हो गई. वह 18 मार्च को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया. इसके बाद वहां 5 मौतें हो गईं. गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को प्रचारकों को लेकर 21 मार्च को सतर्क किया था. जमात का दावा है कि निजामुद्दीन मरकज में लगभग 2,500 सदस्य थे. 22 मार्च को अचानक जनता कर्फ्यू की घोषणा हुई, इसके बाद दिल्ली सरकार ने भी ऐसा ही कदम उठाया. 21 दिन के लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में जमात के सदस्य मरकज में ही फंसे रह गए जबकि 1,500 लोग वहां से चले गए.

Also Read:

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें India Hindi की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.