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Covid 19 Long Term Effects: शोध में हुआ खुलासा, कोरोना से उबर चुके लोगों को दिख रहे हैं ड्रिप्रेशन और थकान जैसे गंभीर लक्षण
हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि जो लोग कोरोना पर जीत हासिल कर चुके हैं उन्हें ड्रिप्रेशन,सांस लेने में तकलीफ और मानिक तनाव जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
कोरोना से पूरी दुनिया इस वक्त परेशान है, जहां एक तरफ कुछ देश इसपर धीरे-धीरे जीत पा रहे हैं तो वहीं कई सारे देशों में भी अभी भी इसका खौफ बना हुआ है. कोरोना की चपेट में अब तक करोड़ो लोग आ चुके हैं जिसमें से कई सारे लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं तो वहीं कुछ लोग इससे बचकर भी निकल गए हैं. लेकिन ये वायरस इतना खतरनाक है कि अगर आप एक बार इसकी चपेट में आ गए हैं तो शायद ये आपकी जिंदगी का हिस्सा बन सकता है. जी हां हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि जो लोग कोरोना पर जीत हासिल कर चुके हैं उन्हें ड्रिप्रेशन,सांस लेने में तकलीफ और मानिक तनाव जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, प्रत्येक 10 रोगियों में से छह को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा है जो कोरोना से जंग जीत चुके हैं. इसके साथ ही इसमें ये भी बताया गया है कि करीब 60 प्रतिशत लोग जो इस वायरस से जीत चुके हैं उन्हें फेफड़ों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही 29 प्रतिशत लोगों की किडनी पर भी साथ ही दिल की समस्या और 10 प्रतिशत लोगों में लीवर की समस्या देखने को मिली है. प्रत्येक 10 रोगियों में से पांच ने थकान का अनुभव किया, जबकि कई में बैचेनी और ड्रिप्रेशन के लक्षण देखने को मिले हैं.
ब्रिटेन में, ये लक्षण कोरोना से संक्रमित होने के 2 से 3 महीने बाद भी दिखाई दे रहे थे. ब्रिटेन में विशेषज्ञों ने लंबे समय तक रहने वाले कोरोनावायरस के इन लक्षणों को ‘लॉन्ग कोविड’ नाम दिया है. डॉक्टरों के अनुसार, कोरोनावायरस संक्रमण को ठीक होने में 14 दिन लगते हैं लेकिन आपके शरीर के कुछ हिस्सो में वो मौजूद ही रहता है. बता दें कि ये ब्रिटेन में करीब 50 लोगों पर ये शोध किया गया था और भारत के लिए ये जानना जरुरी है क्योंकि अब तक करीब 67 लाख लोग इस वायरस से बाहर निकलकर आ चुके हैं.
कोरोना ना केवल आपको शारिरत तौर पर तोड़ता है बल्कि आर्थिक रुप से भी आपको परेशान करके जाता है.एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 20 करोड़ परिवार कोरोनावायरस के महंगे इलाज का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं.एक सर्वेक्षण के अनुसार, दिल्ली के 80 प्रतिशत परिवार हर महीने 25, 000 रुपये से कम खर्च करते हैं. अगर दिल्ली में एक परिवार में पांच व्यक्ति हैं, तो प्रत्येक व्यक्ति पर औसत व्यय 5, 000 रुपये है. ऐसे में अगर परिवार में कोई व्यक्ति COVID -19 से संक्रमित हो गया हो, यह परिवार के बजट को तोड़ सकता है.
यदि आप आईसीयू में भर्ती हैं, तो दिल्ली के एक अस्पताल में 10 दिनों के लिए कम से कम 1.5 लाख रुपये खर्च हो सकते हैं. यदि आईसीयू में वेंटिलेटर का उपयोग किया जाता है, तो लागत 1.8 लाख रुपये तक जा सकती है.निजी अस्पतालों में, बिल कहीं भी 7-10 लाख रुपये के बीच आता है. यह दिल्ली के 80 फीसदी घरों के महीने भर के खर्च से कम से कम पांच-सात गुना ज्यादा है.
ऐसे कई उदाहरण हैं जब लोगों ने नए बीमारी के लक्षण अपने शरीर के अंदर देखें है ठीक होने के 15 महीने या पिर तीन महीनों के बाद. आईसीएमआर के महानिदेशक डॉबलराम भार्गव ने मंगलवार को एक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ब्रीफिंग में लोगों से मास्क पहनने और स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन करने का बात कही है ताकि कोरोना कम से कम फैले.