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Omicron: कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रोन को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक शोध और अध्ययन में जुटै हुए हैं. ओमिक्रोन कितना खतरनाक है, क्या यह कोरोना के दूसरे वेरिएंट्स से ज्यादा घातक और जानलेवा है या इससे उबरना आसान है. इस तरह कई सवालों के जवाब ढूंढने में वैज्ञानिक लगे हुए हैं. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि ओमिक्रोन को हल्के में लेना जीवन पर भारी पड सकता है. लिहाजा, सरकारें ज्यादा से ज्यादा आबीदी को इसकी चपेट से बचाने के उपायों में जुटी हैं. मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के लिये लोगों को प्रेरित करने के अलावा वैक्सीनेशन की बूस्टर डोज देने का काम भी चल रहा है. ओमिक्रोन और उसके बढते खतरे को देखते हुए बूस्टर डोज की आवश्यकता किसे सबसे ज्यादा है. यहां नीचे जानिये विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) इस बारे में क्या कहता है.
डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन (WHO Chief Scientist Soumya Swaminathan) ने इस बारे में कहा कि तेजी से फैल रहे ओमिक्रोन वेरिएंट के खिलाफ टीके का प्रभाव समय के साथ कम होने लगता है. यह पता लगाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि बूस्टर डोज की जरूरत किसे सबसे ज्यादा है. जहां तक बात बच्चों और किशोरों की है तो इसके भी कोई सबूत नहीं मिले हैं.
प्रमुख वैज्ञानिक स्वामीनाथन के अनुसार इस क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञ इस सप्ताह के अंत में बैठक करेंगे ताकि कुछ प्रमुख सवालों पर विचार किया जा सके कि तमाम देशों को अपनी किन आबादी को बूस्टर डोज दने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि, हमारा उद्देश्य सबसे कमजोर लोगों की रक्षा करना है और गंभीर बीमारी व मृत्यु के ज्यादा जोखिम वाले लोगों की रक्षा करना है.
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