Pregnancy में स्‍मोकिंग से बच्‍चे की हड्डियों पर होता है ऐसा असर, जो आपकी सोच से परे है

गर्भावस्था (Pregnancy ) के शुरुआती चरण में धूम्रपान करने से शिशुओं की हड्डियों में फै्रक्चर का खतरा बढ़ जाता है.

Published: January 31, 2020 10:20 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Arti Mishra

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File Photo

गर्भावस्था (Pregnancy ) के शुरुआती चरण में धूम्रपान करने से शिशुओं की हड्डियों में फै्रक्चर होने का खतरा कुछ हद तक बढ़ जाता है. हाल ही में किए गए एक शोध में ये बात सामने आई है.

हालांकि इससे पहले जो शोध हुए हैं, उनमें पता चला था कि गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और शिशुओं की वृद्धि में आने वाली समस्याओं का सीधा संबंध है. लेकिन गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान का प्रभाव शिशुओं की हड्डियों के स्वास्थ्य और जीवन के विभिन्न चरणों में इनके फ्रैक्चर होने के खतरे के बारे में मिले साक्ष्य दुर्लभ और भिन्न है.

स्वीडन के ऑरेब्रो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा, “अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष से यह संकेत मिलता है कि गर्भावस्था के दौरान मां के धूम्रपान का संबंध एक साल की उम्र से पहले के दौर में हड्डियों के फ्रैक्चर होने से है.”

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उन्होंने कहा, “गर्भावस्था के दौरान सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना वैसे तो बाल्यावस्था या युवावस्था के पहले चरण में फ्रैक्चर के जोखिम पर एक लंबे समय तक चलने वाला जैविक प्रभाव नहीं लगता है.”

शोध का निष्कर्ष पत्रिका बीएमजे में प्रकाशित हुआ है. शोध साल 1983 से लेकर 2000 तक के बीच स्वीडन में पैदा हुए 16 लाख की आबादी पर आधारित था. माताओं में से 377,367 ने अपनी गर्भावस्था के प्रारंभिक चरणों में धूम्रपान किया था, जबकि 1,302,940 महिलाओं ने ऐसा नहीं किया था.
जन्म से लेकर 21 वर्ष की औसत आयु (अधिकतम 32 साल) तक इसके नतीजे को देखा गया. शोध निष्कर्ष में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान 377,970 फ्रैक्चर की पहचान (हर साल 1,000 लोगों में 11.8 की दर से) की गई.

शोधकर्ताओं ने भाई-बहनों के बीच तुलना कर इसका भी विश्लेषण किया, ताकि इनसे प्राप्त अपरिमेय पारिवारिक कारकों (आनुवांशिक और पर्यावरणीय) के अनचाहे प्रभावों को नियंत्रित किया जा सके.

मोटे तौर पर, गर्भावस्था के दौरान मां के धूम्रपान करने का संबंध बच्चों में हड्डियों के फ्रैक्चर होने से है, जिसकी संभावना सबसे ज्यादा एक साल की आयु के पहले तक के दौर में होती है, लेकिन इसका प्रभाव बचपन से लेकर पांच साल की आयु व 32 साल तक की उम्र तक रहता है.
(एजेंसी से इनपुट)

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