
गांव के 23 लोगों को कोरोना से मृत बताकर हड़पे 46 लाख, ग्रामीण बोले- हम जिंदा हैं, कोरोना भी न हुआ; जांच के आदेश
मध्य प्रदेश के एक गाँव में जिन 23 लोगों को मृत बताकर रुपए लिए गए, वो सभी जिंदा हैं. और खुद को जिंदा साबित करने को भटक रहे हैं.

छिंदवाड़ा/भोपाल: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 23 जिंदा लोगों को ही मृत बताकर मुआवजा हड़पने बड़ा मामला सामने आया है. जिन 23 लोगों को मृत बताया गया, जब उन्हें पता चला तो उनके होश उड़ गए. अब यही लोग खुद को जिंदा बताने की कोशिश में जुटे हैं. कागजों में मृत घोषित लोग अपने को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में हैं. मुआवजा हड़पने के लिए इन लोगों को कोरोना वायरस से मृत दिखाया गया. मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
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मामला छिंदवाड़ा के बोनाखेड़ी गांव का है. यहां के 23 लोगों को सरकारी कागजों में मौत दे दी गई और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर उनके नाम से कोरोना गाइड लाइन के तहत दो-दो लाख रुपए की सहायत राशि भी शासन से जारी करा ली गई. जिंदा लोगों केा जब कागजों में अपने को मृत घोषित कर दिए जाने की जानकारी मिली तो वे अपने जीवित होने के प्रमाणों और दस्तावेजों के साथ पुलिस अधीक्षक तक जा पहुंचे.
किसान-कल्याण तथा कृषि विकास और छिंदवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने बोनाखेड़ी में 23 जीवित व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाण-पत्र बनने संबंधी प्रकरण को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कलेक्टर, छिंदवाड़ा को दूरभाष पर निर्देशित किया कि प्रकरण की विस्तृत जाँच कराई जाकर दोषियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई के साथ पुलिस थाने में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराएं.
मंत्री पटेल ने इस मामले पर अप्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि महज एक गाँव में ही 23 जीवित व्यक्तियों के फर्जी तरीके से मृत्यु प्रमाण-पत्र बनना और उनके नाम पर राशि का आहरण करना न केवल चिंताजनक है, बल्कि आपत्तिजनक होकर नियम विरूद्ध भी है. पटेल ने कलेक्टर से कहा कि जाँच कार्यवाही को बोनाखेड़ी तक ही सीमित न रखें. सम्पूर्ण जिले में जाँच करवायें कि इस प्रकार से कहीं ओर भी तो गड़बड़ी नहीं हो रही है. उन्होंने दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिये.
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने सरकार पर तंज सकते हुए कहा है, “कोरोना के नाम पर छिंदवाड़ा में 23 जिंदा लोगों के मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी कर दिए और यही नहीं, दो-दो की सहायता राशि भी निकाल ली. लगता है कोरोना में हुई ‘सरकारी-हत्याओं’ में कुछ कमी रह गई है. तभी ‘सिस्टम’ अब जन-जीवन से खेल रहा है.”
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