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शिंदे गुट को 11 जुलाई तक राहत: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए, जवाब मिला- जान को खतरा है, केस मुंबई में नहीं लड़ सकते
सुप्रीम कोर्ट ने बागियों को राहत देते हुए अयोग्य ठहराए जाने वाले नोटिस पर 11 जुलाई तक रोक लगा दी है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में चल रहा सियासी घमासान अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बागियों को राहत देते हुए अयोग्य ठहराए जाने वाले नोटिस पर 11 जुलाई तक रोक लगा दी है. बागियों को ये नोटिस शिवसेना की अर्जी पर विधान भवन सचिवालय ने जारी किया था. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना (Shivsena) के बागी विधायकों से कई सवाल किए. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केस के लिए सुप्रीम कोर्ट की बजाय पहले हाईकोर्ट (Bombay High Court) क्यों नहीं गए. इस पर बागी गुट ने कहा कि मुंबई में हमारी जिंदगी खतरे में है और हम मुंबई में केस नहीं लड़ सकते हैं. शिंदे गुट ने कहा कि उनकी जिंदगी खतरे में हैं और माहौल इसके लायक नहीं है कि वे मुंबई में अपने मामले की पैरवी कर सकें. बता दें कि शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के विधायकों के साथ बगावत कर दी है. शिंदे का दावा है कि उनके पास शिवसेना के करीब 40 विधायकों का समर्थन है. शिंदे गुट का दावा है कि शिवसेना के टूटने से महाराष्ट्र सरकार अब अल्पमत में आ गई है. वहीं, शिवसेना का दावा है कि सरकार स्थिर है और कई बागी विधायक उनके संपर्क में हैं. बागी विधायक वापस आना चाहते हैं.
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने बागी विधायकों के वकील नीरज किशन कौल से पूछा कि वे बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. किशन कौल ने कहा कि शिवेसना के बागी विधायकों तथा उनके परिवार की जिंदगी खतरे में है. ऐसे प्रतिकूल माहौल में मुम्बई में मामले की पैरवी नहीं की जा सकती है. कौल ने दलील दी कि जब महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव लंबित है तो ऐसे में वह बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई शुरू नहीं कर सकते हैं. उन्होंने इस मामले में 2016 के ‘नाबम रेबिया’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उदाहरण दिया.
कौल ने कहा कि बागी विधायकों के घरों पर हमला किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि उनके शव महाराष्ट्र पहुंचेंगे. इस पर अवकाश पीठ ने कहा कि दलील से दो बातें सामने आईं हैं कि विधायकों की जिंदगी खतरे में है लेकिन अदालत के पास इसकी पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है और दूसरी बात यह है कि विधायकों को अयोग्य ठहराने की नोटिस का जवाब देने का समय नहीं दिया गया. पीठ ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मसला यह है कि स्पीकर या डिप्टी स्पीकर का कार्यकाल संदेह में हो तो वह कार्रवाई जारी नहीं रख सकते हैं. कौल ने दोहराया कि जब डिप्टी स्पीकर को पद से हटाने की बात चल रही हो तो वह कार्रवाई को आगे कैसे बढ़ा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट एकनाथ शिंदे तथा अन्य बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने डिप्टी स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने के नोटिस को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. विधायकों ने अजय चौधरी को विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने के खिलाफ भी अर्जी दी है.
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