
देश दु:खद स्थिति से गुजर रहा, जहां कोई व्यक्ति न तो खुलकर बोल सकता है न ही घूम सकता है: कोर्ट
सीबीआई व महाराष्ट्र सीआईडी की 'गोपनीय रिपोर्ट' में कुछ भी गोपनीय नहीं: मुम्बई हाई कोर्ट

मुम्बई: नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या के मामले की सुनवाई कर रही मुम्बई हाई कोर्ट ने सीबीआई और एसआईटी को तगड़ी फटकार लगाई और ये कहते हुए महाराष्ट्र सीआईडी और सीबीआई की ‘गोपनीय रिपोर्ट’ वापस कर दी कि रिपोर्ट में कुछ भी ‘गोपनीय’ नहीं है और अब तक की गई जांच बिलकुल भी संतोषजनक नहीं है. पूरी जांच पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कोर्ट ने कहा कि उक्त मामले में और लापरवाही बर्दाश्त नही की जाएगी.
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कोर्ट ने सीबीआई को याद दिलाए कर्तव्य
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई और महाराष्ट्र सीआईडी का यह दायित्व है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच करें, जिससे उदारवादियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में व्याप्त इस भय को कम किया जा सके कि ‘अगर वे अपने विचार सार्वजनिक रूप से व्यक्त करेंगे तो उनका भी वही हाल होगा.’
देश के वर्तमान हालात चिन्ताजनक
बेंच ने कहा कि आज देश एक “दु:खद स्थिति” से गुजर रहा है जहां कोई व्यक्ति न तो खुलकर बोल सकता है न ही खुलकर घूम सकता है, तब भी जांच एजेंसियां इन दोनों हत्याओं के मामलों की जांच में संवेदनहीन बनी हुई हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा कि दाभोलकर और पानसरे की हत्या के बाद कर्नाटक मे इसी तरह की कुछ और घटनाएं भी हुई जिससे सामाजिक कार्यकर्ताओं में यह धारणा बलवती होने लगी कि अपने विचारों को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने पर उन्हें निशाना बनना पड़ेगा.
ज्ञात हो कि 20 अगस्त 2013 को पुणे में नरेंद्र दाभोलकर की सुबह की सैर के समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वहीं गोविन्द पानसरे को कोल्हापुर में 16 फरवरी 2015 को गोली मार दी गयी थी और 20 फरवरी को उनकी मौत हो गयी थी. दाभोलकर मामले की जांच सीबीआई तो पानसरे हत्या की जांच महाराष्ट्र सीआईडी को सौंपी गई है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट में सीबीआई के संयुक्त निदेशक शरद अग्रवाल और राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव (सुनील पोरवाल) मौजूद थे. उक्त मामले की सुनवाई दाभोलकर और पानसरे के परिवारों की याचिका पर जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और भारती दांगरे की पीठ कर रही है.
कोर्ट ने पूछा क्या देश में सभी को पुलिस देगी सुरक्षा
राज्य सरकार द्वारा पानसरे के परिवार की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है. यह सूचना देते हुए वकील अभय नेवागी ने कोर्ट को बताया कि इससे पानसरे के परिवार के सदस्यों की चिंता और बढ़ गयी है, उन्हें लगने लगा है कि वे खतरे में है. जिस पर कोर्ट ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि ‘क्या हम देश में उस दिन का इन्तजार कर रहे हैं जब हर आदमी बोलने और देश में घूमने के पहले पुलिस सुरक्षा की मांग करेगा.’
आखिर सरकार की प्राथमिकता क्या है ?
कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य में आज क्या हो रहा है? लोग आते हैं और बसों को आग लगा देते हैं, पत्थर फेंकते हैं, इसके लिए सब आजाद हैं. आखिर आपकी प्राथमिकता क्या है ? एक राज्य है और एक है सरकार. कल सरकार बदल सकती है, लेकिन राज्य का क्या जो करोड़ों लोगों का घर है? क्या आजादी से बोलने के लिए सबको पुलिस सुरक्षा देगी?
दोनों मामलों की जांच पर टिप्पणी करते हुए बेंच ने कहा कि हालांकि राज्य के सबसे सीनियर अधिकारियों ने सीधे जज चैम्बर में ये कहते हुए रिपोर्ट सौंपी थी कि रिपोर्ट में अति संवेदनशील और गोपनीय सूचना है पर रिपोर्ट पढने से ऐसी कोई गोपनीय बात सामने नहीं आई है. रिपोर्ट लौटाते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य के सबसे बड़े कोर्ट की सुनवाई का क्या मतलब है अगर परिणाम ये है. इन रिपोर्टों में कुछ भी गोपनीय या संवेदनशील नहीं है.
गौरी लंकेश के हत्यारे से जुड़े हो सकते हैं तार
वहीं सितम्बर 2017 में बंगलोर में जर्नलिस्ट गौरी लंकेश की हत्या की जांच कर रही एसआईटी ने बुधवार को बताया कि मामले में मुख्य आरोपी अमोल काले को दाभोलकर और पानसरे के हत्या के मामले के बारे में कुछ पुख्ता जानकारी है. काले वीरेन्द्र तावडे का साथी है जिसे सीबीआई ने दाभोलकर हत्याकाण्ड में गिरफ्तार किया है. दाभोलकर और पानसरे हिन्दुत्व अतिवाद के धुरविरोधी थे और गौरी लंकेश की तरह उन्हें भी हिन्दू अतिवाद पर कड़ी प्रतिक्रिया करने की वजह से मार दिया गया था.
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