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Irctc Shramik Trains: ट्रेन में नहीं मिली सीट, परेशान लल्लन बढ़ई ने बचत से खरीद डाली कार, पहुंचा घर
एक ऐसी खबर आई है जो आपको हैरान कर देगी. खबर है लल्लन नाम के बढ़ई की.
Irctc Shramik Trains: देश भर में श्रमिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं. जिससे अब तक लाखों श्रमिक अपने घर पहुंचे हैं. इस बीच एक ऐसी खबर आई है जो आपको हैरान कर देगी. खबर है लल्लन नाम के बढ़ई की.
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गाजियाबाद के रहने वाले लल्लन पेशे से एक बढ़ई हैं. उसने यहां निकट स्थित एक रेलवे स्टेशन में श्रमिक स्पेशल ट्रेन में चढ़ने के लिए अपनी बारी की तीन दिन तक प्रतीक्षा की. चौथे दिन लल्लन के सब्र का बांध टूट गया.
चौथे दिन लल्लन सीधे एक बैंक जा पहुंचा और 1.9 लाख रुपये की अपनी सारी बचत अपने खाते से निकाल ली. फिर वो एक सेकेंड हैंड कार विक्रेता के पास गया.
उसने 1.5 लाख रुपये में एक इस्तेमाल की हुई कार खरीदी और अपने परिवार के साथ गोरखपुर में अपने घर की ओर रवाना हुआ और कभी वापस न लौटने की कसम खाई.
गोरखपुर के पीपी गंज में कैथोलिया गांव के निवासी लल्लन ने कहा, “लॉकडाउन के बाद मैं इस उम्मीद पर कायम रहा कि चीजें जल्द ही सामान्य हो जाएंगी. जब लॉकडाउन की अवधि आगे बढ़ती गई, तो मैंने सोचा कि गांव में वापस लौट जाना ही मेरे और मेरे परिवार के लिए सुरक्षित होगा. हमने बसों या ट्रेनों में सीट पाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन असफल रहे.”
लल्लन ने कहा कि बसों में काफी भीड़ रही, ऐसे में उसे इस बात का डर रहा कि सोशल डिस्टेंसिंग रखे बिना अगर वे सफर करते हैं, तो कहीं उसके परिवारवालें कोरोनावायरस की चपेट में न आए जाए.
उसने आगे कहा, “आखिरकार जब मैं श्रमिक ट्रेनों में सीट पाने में विफल रहा, तो मैंने एक कार खरीदकर घर वापस लौटने का फैसला लिया. मुझे पता है कि मैंने अपनी सारी बचत खर्च कर दी है, लेकिन कम से कम मेरा परिवार तो सुरक्षित है.”
लल्लन 29 मई को अपने परिवार के साथ कार में सवार होकर गाजियाबाद से रवाना हुआ और अगले दिन 14 घंटे की यात्रा करने के बाद गोरखपुर पहुंचा.
लल्लन फिलहाल अपने घर पर क्वॉरंटाइन में है और उसे गोरखपुर में ही काम मिलने की उम्मीद है. उसने कहा, “अगर मुझे यहां काम मिल जाता है, तो मैं गाजियाबाद नहीं लौटूंगा.”
(एजेंसी से इनपुट)