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आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मिली नौकरी, पंजाब के नए सीएम ने सौंपे नियुक्ति पत्र
जिन किसानों ने आंदोलन में जान गँवाई उनके परिजनों को नौकरी मिल गई है.
बठिंडा: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले दो किसानों के परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए उनके परिजनों को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ बठिंडा के मंडी कलां गांव में खेतिहर मजदूर सुखपाल सिंह (30) के घर का दौरा किया और उनके बड़े भाई नाथ सिंह को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा.
दिल्ली की टीकरी सीमा पर किसानों के धरने के दौरान सुखपाल सिंह अस्वस्थ हो गए थे और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान(पीजीआईएमईआर) चंडीगढ़ में उनका इलाज किया जा रहा था, जहां इस साल 31 मार्च को उनकी मृत्यु हो गई. मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए, नाथ सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुसार परिवार को पहले ही पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिल चुकी है, जिसका उपयोग उनके पुराने मकान की मरम्मत के लिए किया जा रहा है.
बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने बठिंडा की रामपुरा तहसील के चौके गांव के गुरमेल सिंह को भी नियुक्ति पत्र सौंपा. गुरमेल के इकलौते बेटे जशनप्रीत सिंह (18) की इस साल जनवरी में टीकरी सीमा पर मौत हो गई थी. चन्नी ने कहा कि राज्य सरकार संकट की इस घड़ी में परिवारों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इन किसानों, खेतिहर मजदूरों ने कठोर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह शर्मनाक है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले प्रदेश के मेहनतकश किसान सड़कों पर हैं.’’
चन्नी ने कहा कि इन कानूनों को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पंजाब विधानसभा पहले ही इन कानूनों को खारिज कर चुकी है क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य किसानों को बर्बाद करना है. इस बीच, मुख्यमंत्री ने रविवार को घोषणा की कि कीट ‘पिंक बॉलवर्म’ के कारण नुकसान झेल रहे कपास की खेती करने वाले प्रत्येक किसान को सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा.
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