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राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की कोतवाली थाना पुलिस ने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में हुई चोरी के मामले का खुलासा कर दिया है. इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है. पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों ने बैंक में आए एक व्यक्ति से 2 लाख, 14 हजार रुपये चुरा लिए थे. थानाधिकारी रविंद्र सिंह ने जानकारी दी कि कुछ समय पहले ही शहर के हायर सेकेंडरी रोड पर पीएनबी से 2 महिलाएं बैंक में रुपये लेने आए एक व्यक्ति के बैग से यह रुपये चुराकर फरार हो गई थीं.
चोरी की यह घटना बैंक में लगे सीसीटीवी में भी कैद हो गई थी. सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) के आधार पर ही पुलिस ने इन महिलाओं की तलाश शुरू की. पुलिस ने एक कार की भी जांच की, जिसमें वह महिलाएं सीसीटीवी फुटेज के अनुसार बैठते हुए दिखी थीं. पुलिस ने कार के नंबर के आधार पर आरोपियों की तलाश शुरू की. जांच में पता चला कि आरोप मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले से आए थे. यह राजगढ़ जिले के कड़िया सांसी गांव के रहने वाले थे.
थानाधिकारी ने बताया कड़िया सांसी गांव के साथ ही दो और गांव हैं, जहां सांसी जाति के लोह रहते हैं. पुलिस के अनुसार इन गांवों के लोग शादियों, धार्मिक स्थलों और बैंकों में इस प्रकार की वारदात को अंजाम देते हैं. पुलिस ने आरोपियों को आधार कार्ड से जारी सिम और फास्ट्रेक के आधार पर ट्रेस करने की कोशिश की. लोकेशन ट्रेसिंग के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी आगरा में हैं.
आरोपियों की लोकेशन के बारे में जानकारी मिलते ही पुलिस ने फूर्ति दिखाई और चार आरोपियों को आगरा से गिरफ्तार कर लिया. इस संबंध में अन्य आरोपियों को गिरफ्त में लेने की कोशिशें भी जारी हैं. आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए प्रतापगढ़ की एसपी अमृता दुहन के कड़े प्रयास किए और शहर कोतवाल रविंद्र सिंह ने भी जमकर मेहनत की. इनकी मेहनत के बूते पुलिस ऐसे गिरोह को गिरफ्तार करने में सफल रही, जिन्हें पकड़ने में पुलिस के हाथ-पांव कांप जाते थे.
एसपी दुहन ने बताया कि मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की नरसिंहगढ़ तहसील में स्थित गांव कड़िया सांसी, गुलखेड़ी एवं हुलखेड़ी में सिर्फ सांसी समाज के लोग रहते हैं, जो अपने नाम के आगे सिसोदिया सरनेम लगाते हैं. यह एक संगठित गिरोह के रूप में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं. इस गिरोह के लोग बैंक से रुपये निकाल रहे व्यक्तियों के बैग में चीरा लगाकर, शादियों में शामिल होकर ज्वेलरी के बैग चुराने व बस, रेलवे स्टेशन से नकदी व आभूषण के बैग चुराने के आदी हैं.
इन तीन गांव के लोग पूरे भारतवर्ष में इस तरह की वारदातें करते हैं. तीनों गांव में यह लोग संगठित होकर रहते हैं. गांव से पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करने देते. पुलिस के आने पर पूरा गांव संगठित हो जाता है. अगर पुलिस किसी अभियुक्त को ले जाने की कोशिश करती है तो सभी लोग मिलकर पुलिस पर हमला कर देते हैं. स्थानीय पुलिस व इनके बीच कई बार झड़पें व फायरिंग भी हो चुकी है. गांव में मुल्जिमों की तलाश में भारत के विभिन्न राज्यों से दो से पांच पुलिस पार्टियां हर रोज आती है.
इस गिरोह के लोग छोटे बच्चों व महिलाओं के साथ घूम कर पूरे भारत में शादियों से आभूषण व बैंकों में आने वालों की रेकी कर निरंतर चोरी करते हैं. स्थानीय लोग इनके बारे में कोई भी सूचना देने से कतराते हैं. जिस किसी वारदात का सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पता चलता है, तो यह लोग चुराया हुआ माल मुलजिम को छोड़ने या मुलजिम को गिरफ्तार नहीं करने की शर्त पर वापस दे देते हैं. इस कारण इनके खिलाफ वास्तविकता से कम मामले दर्ज हैं.
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