
प्रसव के बाद बहने लगा युवती का खून नहीं रुका, मौत के बाद परिजनों ने किया हाईवे जाम, अस्पताल बोला- आरोप निराधार
राजस्थान के दौसा जिले में प्रसव के बाद युवती का खून बहने लगा. अस्पताल के काफी प्रयासों के बाद भी खून नहीं रुका. जिसके चलते युवती की मौत हो गई. मौत के बाद परिजनों ने हाईवे को जाम कर दिया. परिजनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है.

राजस्थान में प्रसव के दौरान एक युवती की मौत का मामला सामने आया है. युवती को प्रसव पीड़ा के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जहां उसकी प्रसव के दौरान मौत हो गई. युवती की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया. परिजनों ने युवती का शव लेकर हाईवे पर जाम लगा दिया. मामले की जानकारी के बाद पुलिस मौके पर पहुंची. परिजनों ने पुलिस से अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. वहीं, नवजात शिशु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए दौसा रेफर किया गया है. मामला दौसा जिले के लालसोट का है. जहां युवती आशा देवी की प्रसव के दौरान मौत हो गई.
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परिजनों में शामिल शिवशंकर जोशी और मृतक आशा के पति लालूराम ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया. लालूराम ने सवाल उठाते हुए पूछा कि प्रसूता की अगर स्थिति ज्यादा खराब खराब थी तो अस्पताल प्रशासन परिजनों को जानकारी देकर पीड़िता को वहां से रेफर कर सकता था. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल स्टाफ ने उन्हें गुमराह करके अस्पताल में ही ऑपरेशन किया. जिसके कारण युवती के शरीर से ज्यादा खून बह गया और महिला की मौत हो गई. परिजनों ने कहा कि मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने अपनी ही एंबुलेंस से युवती के शव को उसके घर तक पहुंचाने का काम किया जबकि उसका पोस्टमॉर्टम होना चाहिए था.
लालूराम ने कहा कि अस्पताल के लोग युवती के शव के साथ उसके नवजात शिशु को भी छोड़ गए, जब नियमानुसार 48 घंटे अस्पताल में रखने का प्रावधान है. उन्होंने पुलिस को समूचे प्रकरण की जानकारी देकर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. इस अवसर पर उन्होंने पुलिस उप अधीक्षक से अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने, मुआवाजा दिलवाने और दोषी लोगों की गिरफ्तारी की मांग की है.
आरोप निराधार जांच के लिए तैयार
वहीं, निजी अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि भैरूवास ग्राम की महिला आशा बेरवा को डिलीवरी के लिए पिछली रात को लाया गया था. सुबह 9 बजे डिलीवरी का काम शुरू किया गया. डिलवरी होने के बाद महिला को 11 बजे करीब ब्लडिंग चालू हो गई. ब्लडिंग को रोकने के लिए चिकित्सकों ने प्रसूता को 2 घंटे तक ओटी में रखकर उसके जीवन को बचाने के लिए पूरे प्रयास किए मगर वह नहीं बच पाई. इस दौरान दो यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया. अस्पताल का कहना है कि ब्लीडिंग जैसे केस में मरीज का बचना लगभग असंभव हो जाता है, मगर चिकित्सकों ने अपने प्रयास में कोई कमी नहीं रखी. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों पर लापरवाही के लगाए गए आरोप निराधार हैं. अस्पताल ने पुलिस से भी मामला दर्ज कर प्रकरण की निष्पक्ष जांच की बात कही है. अस्पताल ने कहा कि युवती का पहला ऑपरेशन भी इसी अस्पताल में हुआ था. इसी विश्वास के कारण जयपुर से युवक अपनी पत्नी को लेकर यहां अस्पताल आया था.
क्या कहती है पुलिस
पुलिस उप अधीक्षक शंकर लाल मीना ने बताया कि मामले को लेकर आइपीसी की धारा 302 में मामला दर्ज कर लिया है. पोस्टमॉर्टम कराने के लिए परिजनों को समझाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ बीसीएमएचओ डा धीरज शर्मा ने बताया कि नवजात शिशु को दौसा भेज दिया गया है. मृतका के पोस्टमॉर्टम के लिए मेडिकल बोर्ड को गठन कर दिया है.
(इनपुट- लक्ष्मी अवतार शर्मा)
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