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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: मुगलों को घुटने टेकने पर शिवाजी ने किया मजबूर, पढ़ें हिंदू हृदय सम्राट की कहानी

जब तक क्षत्रपति महाराज जीवित रहें, तब तक मराठों का भगवा ध्वज हमेशा आकाश में लहराता रहा. पूरा देश आज उनकी जयंती को उत्साह के साथ मना रहा है.

Published: February 19, 2021 10:42 AM IST

By Avinash Rai

Shivaji Maharaj
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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2021: हिंदू हृदय सम्राट व भारत के पराक्रमी मराठा शासक क्षत्रपति शिवाजी महाराज से देश का बच्चा बच्चा वाकिफ है. पूरे देश में लोग उनके सम्मान में महाराज के नाम से पहले क्षत्रपति शब्द का प्रयोग करते हैं. ऐसे परम पराक्रमी मराठा शासक की आज जयंती है. क्षत्रपति शिवाजी महाराज भारत के एक ऐसे शासक रहें जिन्होंने मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूत कर दिया. आज हम आपको शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर उनके जीवन की कुछ खास बातों से रूबरू कराने वाले हैं. महाराज एक तरफ जहां वीर योद्धा थे वहीं दूसरी ओर वे बेहद दयालु शासक भी थे. जब तक क्षत्रपति महाराज जीवित रहें, तब तक मराठों का भगवा ध्वज हमेशा आकाश में लहराता रहा. इसी कारण पूरा देश आज उनकी जयंती को उत्साह पूर्वक मना रहा है.

क्षत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी 10 बातें

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1- क्षत्रपति शिवाजी शहाजी राजे भोसले का जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणें में हुआ था. मराठा साम्राज्य की नींव क्षत्रपति महाराज ने ही डाली. यही वे शासक थे, जिन्होंने मुगलों से लोहा लेने की हिम्मत की.

2- क्षत्रपति महाराज वीर योद्धा होने के साथ साथ वे एक कुशल रणनीतिकार भी थे. इन्हें गुरिल्ला युद्ध तकनीक का जनक भी कह सकते हैं. क्योंकि मुगलों के खिलाफ इन्होंने इसी तकनीक का इस्तेमाल किया था. दुनिया को गुरिल्ला युद्ध से इन्होंने ही रूबरू कराया. महान देशभक्त होने के साथ साथ ये एक दयालु इंसान भी थे.

3- आज 344 साल पहले 6 जून 1674 को शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया गया था.

4- शिवाजी महाराज एक विशेष धर्म से जरूर ताल्लुक रखते थे, लेकिन कभी उन्होंने अपनी प्रजा पर इसे नहीं थोंपा. वे सभी धर्मों का सम्मान करते थे. वे धर्मांतरण के सख्त खिलाफ थे. उनकी सेना में कई मुस्लिम योद्धा बड़े ओहदों पर आसीन थे. इब्राहिम खान और दौलत खान को उनकी नौसेना में खास पद दिए गए थे.

5- सिंधुगढ़ और विजयदुर्ग में शिवाजी महाराज ने नौसेना के किले तैयार किए थे. साथ ही रत्नागिरी में अपने जहाजों के रिपेयरिंग के लिए एक दुर्ग का निर्माण कराया था.

6- माना जाता है कि गुरिल्ला युद्ध का आरंम्भ यही से हुआ था.

7- शिवाजी महाराज एक महान योद्धा थे, शिवाजी महाराज उन चुनिंदा शासकों में आते हैं जिनके पास पेशेवर सेना थी. वो अपने सैनिकों के साथ जमकर युद्धाभ्यास किया करते थे.

8- शिवाजी महाराज के महिलाओं का काफी सम्मान करते थे. उनके आदेश तो यहां तक थे कि युद्ध में बंदी किसी भी महिला के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया जाएगा. बल्कि उन महिलाओं को इज्जत के साथ वापस उनके घर भेजा जाएगा.

9- शिवाजी महाराज ने फारसी के स्थान पर मराठी और संस्कृत भाषा को राजकाज की भाषा बनाया था. उनके पास 8 मंत्रियों की परिषद थी, जिसे अष्टप्रधान कहा जाता था.

10- कहा जाता है कि शिवाजी महाराज ने बीजापुर को जीतने में औरंगजेब की मदद की थी, लेकिन इस लड़ाई की एक पूर्व शर्त थी कि बीजापुर के गांव और किले मराठा साम्राज्य के तहत रहेंगे. लेकिन इस बीच मार्च 1657 में इनके बीच विवाद शुरू हो गया और शिवाजी महाराज और औरंगजेब के बीच कई लड़ाईयां हुई जिसका नतीजा कुछ नहीं निकला, लेकिन मराठा सेना ने शिवाजी के नेतृत्व में मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.

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