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Fight In West Bengal Assembly: सदन में कब-कब चले लात घूंसे, जानें यूपी से तमिलनाडु तक की कहानी

टीएमसी के विधायक असित मजूमदार की हाथापाई में नाक टूट गई. विधानसभा के बाहर उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उन्हें भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने मारा है. वहीं भाजपा विधायक मनोज टिग्गा के कपड़े फटने का मामला सामने आया है.

Updated: March 28, 2022 4:50 PM IST

By Avinash Rai

Assembly Fight

Fight In West Bengal Assembly: पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीरभूम स्थित रामपुरहाट हिंसा मामले पर जोरदार बहस के दौरान टीएमसी और भाजपा के नेता आपस में भिड़ गए. इस दौरान तनातनी इतनी बढ़ गई कि हाथापाई की नौबत आ गई. इस दौरान दोनों तरफ के विधायक एक दूसरे पर टूट पड़े और विधानसभा की लाइट टूट गई. टीएमसी के विधायक असित मजूमदार की हाथापाई में नाक टूट गई. विधानसभा के बाहर उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उन्हें भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने मारा है. वहीं भाजपा विधायक मनोज टिग्गा के कपड़े फटने का मामला सामने आया है. इस बीच शुभेंदु अधिकारी समेत कुल 5 नेताओं को विधानसभा से सस्पेंड कर दिया गया है.

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लोकतंत्र का काला इतिहास (Fight In UP Assembly)
यूपी विधानसभा का साल 1997 का कार्यकाल लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा. दरअसल 21 अक्टूबर 1997 को यूपी विधानसभा के भीतरण विधायकों के बीच माइकों और लात घूसों की बौछार होने लगी. पहले लोहे की रॉड वाली माइक विधानसभा में थी. लेकिन इस घटना के बाद वायर वाले माइक का इस्तेमाल किया जाने लगा. इस दिन जिसके हाथ जो लगा उसी से लोगों ने एक दूसरे पर हमला किया. माइक, जूते, चप्पल, लात-घूंसे सभी विधानसभा में एक दूसरे पर विधायकों ने चलाए.

इस दौरान विपक्ष की गैर मौजूदगी में कल्याण सिंह ने बहुमत साबित कर दिया था. दरअसल इस दौरान भाजपा और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन की सरकार थी जिसके तहत यह तय हुआ था कि 6-6 महीने भाजपा और बसपा के मुख्यमंत्री सरकार संभालेंगे. पहले कार्यकाल का मौका मायावती का मिला. लेकिन 6 महीने बाद मायावती ने कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाए जाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद भाजपा ने बसपा से अपना समर्थन वापस ले लिया. इस कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था.

बिहार सदन में लाठीचार्ज (Fight In Bihar Assembly)
23 मार्च 2021 को बिहार राज्य सरकार द्वारा सदन में पुलिस सशस्त्र विधेयक पेश किया जा रहा था. इस बिल का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही थीं. लिहाजा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को ही बंधक बना लिया. इस दौरान बाहर से पुलिस बल को बुलाना पड़ाय पुलिस ने विधानसभा के भीतर ही विधायकों की लात घूंसों से जमकर पिटाई कर दी. इस बिल के खिलाफ आरजेडी की तरफ से बिहार विधानसभा के घेराव का कार्यक्रम बनाया गया था. इसमें आरजेडी के समर्थकों ने पत्थरबाजी की जिसके बाद पुलिस ने लातघूसों और लाठीचार्ज किया. इसके बाद कई नेताओं को हिरासत में लिया गया था.

तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता का अपमान (Fight In Tamilnadu Assembly)
हाल ही में आए फिल्म ‘थलाईवी’ में एक दृश्य दिखाया गया है जिसमें जयललिता संग विधानसभा में अभद्रता को दर्शाया गया है. दरअसल यह मामला 32 साल पुराना है. 25 मार्च 1980 को तमिलनाडु विधानसभा में बजट पेश किया जा रहा ता. इस दिन डीएमके प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिदि ने जैसे ही बजट का भाषण पढ़ना शुरू किया वैसे ही कांग्रेस विधायक ने प्वाइंट ऑफ ऑर्डर उठाया कि पुलिस विपक्ष के नेताओं जयललिता के खिलाफ अलोकतांत्रिक तरीके से काम कर रही है, मुख्यमंत्री के उकसाने पर पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है और उनके फोन को भी टैप किया जा रहा है. इस AIADMK के विधायकों की बात पर विधानसभा स्पीकर ने कहा कि वे इस मुद्दे पर बहस की अनुमति नहीं दे सकते हैं. इसके बाद AIADMK के नेता बेकाबू हो गए और विपक्ष के एक सदस्य ने करुणानिधि को धक्का देने की कोशिश की. इसके कारण करुणानिधि का चश्म जमीन पर गिरकर टूट. वहीं डीएमके के एक विधायक ने बजट के पन्नों को फाड़ दिया.

इस बीच जब जयललिता सदन से बाहर निकलने के लिए खड़ी हुईं तो डीएमके के एक विधायक ने उनका रास्ता रोका. इस कोशिश में जयललिता के साड़ी का पल्लू गिर गया और वे खुद जमीन पर गिर गईं. इसके बाद पार्टी विधायकों को गुस्सा आ गया और DMK और AIADMK के बीच जमकर हाथापाई हुई. डीएमके सदस्य की कलाई पर चोट कर एआईएडीएमके के सदस्य ने जयललिता को उनके चंगुल से छुड़वाया. इस दौरान गुस्से में जयललिता ने कसम खाया था कि वो सदन में तबी पैर रखेंगी जब राज्य महिलाओं के लिए सुरक्षित हो जए और अब सीएम बनकर ही सदन में लौटेंगी.

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