Kargil Vijay Diwas Remembering The Heroes Of Operation Vijay
Kargil Vijay Diwas: जरा याद इन्हें भी कर लो, इन वीरों की बदौलत ही आज हम विजय दिवस मना रहे हैं
कैप्टन विक्रम बत्रा हों या कैप्टन अनुज नायर, भले कर्नल सोमम वांगचुक हों या ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और ऐसे ही अन्य वीर. इन वीरों की वीरता के कारण ही आज हम कारगिल विजय दिवस मना रहे हैं. इसलिए इस अवसर पर इन वीर योद्धाओं को भी याद करें.
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर देश उन वीर सपूतों को याद कर रहा है, जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान की बाजी लगा दी. इन वीर जवानों को भूलने की गलती देश को करनी भी नहीं चाहिए, क्योंकि यही वो वीर योद्धा थे, जिन्होंने कारगिल की ऊंची चोटियों पर बैठे पाकिस्तानी घुसपैठियों को भागने पर मजबूर कर दिया था. इन योद्धाओं के सीनों के फौलाद के आगे पाकिस्तानी घुसपैठियों के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई थी. ऊंचाई पर बैठे होने के कारण उनके पास एडवांटेज था, लेकिन इन देश के इन वीर सपूतों के हौसलों ने उनके सीनों में डर भर दिया और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया. कारगिल की चोटियों को घुसपैठियों से खाली कराने में भारतीय सेना को करीब 3 महीने का समय लगा और इस दौरान भारतीय सेना ने करीब 490 अफसरों, सैनिकों और जवानों को खोया.
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जरा याद इन्हें भी कर लो
कैप्टन अनुज नायर – Captain Anuj Nayyar
कैप्टन अनुज नायर भारतीय सेना में जाट रेजिमेंट की 17वीं बटालियन के अधिकारी थे. वह कारगिल युद्ध में 7 जुलाई 1999 को टाइगर हिल को घुसपैठियों के आजाद कराने के अभियान में थे, जिस दौरान वह दुश्मन की गोलियों की जद में आ गए. युद्ध अभियान के दौरान अपनी अनुकरणीय वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रुम – Lieutenant Keishing Clifford Nongrum
लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रुम जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री की 12 वीं बटालियन से थे. 1 जुलाई, 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान प्वाइंट 4812 पर कब्जा करते समय उन्होंने शहादत प्राप्त की. युद्ध अभियान में उनकी वीरता के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
मेजर पद्मपाणि आचार्य – Major Padmapani Acharya
मेजर पद्मपाणि आचार्य भारतीय सेना में राजपूताना राइफल्स की दूसरी बटालियन के ताल्लुख रखते थे. वह कारगिल युद्ध के दौरान 28 जून, 1999 को लोन हिल में दुश्मन की गोलियों की चपेट में आ गए. घावों के कारण शहीद होने से पहले उनके वीरतापूर्ण कार्य के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
मेजर राजेश सिंह अधिकारी – Major Rajesh SIngh Adhikari
मेजर राजेश सिंह अधिकारी भारतीय सेना अधिकारी थे और कारगिल युद्ध के दौरान 30 मई 1999 को तोलोलिंग की लड़ाई में शहीद हो गए थे. युद्ध में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें वीरता सम्मान, महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
कर्नल सोनम वांगचुक – Colonel Sonam Wangchuk
कर्नल सोनम वांगचुक लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंट में सेवारत रहे एक भारतीय सेना अधिकारी हैं। 1999 के कारगिल युद्ध में, तत्कालीन मेजर वांगचुक ने चोरबत ला टॉप पर पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ एक ऑपरेशन का नेतृत्व किया, जिसके लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
मेजर विवेक गुप्ता – Major Vivek Gupta
मेजर विवेक गुप्ता राजपुताना राइफल्स की दूसरी बटालियन में थे और कारगिल युद्ध के दौरान 12 जून 1999 को द्रास सेक्टर में दो प्रमुख पोस्ट को वापस हथियाने के बाद वह देश के नाम शहीद हो गए. युद्ध के मोर्चे पर उनकी वीरता के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
नायक दिगेंद्र कुमार – Naik Digendra Kumar
नायक दिगेंद्र कुमार ने 1999 में कारगिल युद्ध के राजपुताना राइफल की दूसरी बटालियन का हिस्सा थे. वह 31 जुलाई, 2005 में सेवानिवृत्त हुए थे इससे पहले युद्ध के मैदान में उनकी वीरता के लिए उन्हें 15 अगस्त 1999 को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
राइफलमैन संजय कुमार – Rifleman Sanjay Kumar
राइफलमैन संजय कुमार, 13 जम्मू और कश्मीर राइफल्स की उस टीम के प्रमुख स्काउट थे, जिन्हें एरिया फ्लैट टॉप पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उन्हें छाती और हाथ में गोली लगी थी, लेकिन अत्यधिक खून बहने के बावजूद हमले मोर्चे पर डटे रहे. उसके इस साहसी कार्य से प्रेरणा लेते हुए बाकी की प्लाटून ने दुश्मन के बंकरों पर हमला बोल दिया और एरिया फ्लैट टॉप पर कब्जा कर लिया। राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव – Grenadier Yogendra Singh Yadav
ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव कमांडो ‘घातक’ प्लाटून का हिस्सा थे और टाइगर हिल पर तीन रणनीतिक बंकरों पर कब्जा करने की जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी. 18 ग्रेनेडियर्स के ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव ने हमले का नेतृत्व किया और चट्टान पर चढ़ाई की. उनकी जिम्मेदारी बाकी की प्लाटून के लिए चट्टान पर रस्सियां लगाना था. कारगिल युद्ध के दौरान 4 जुलाई 1999 की कार्रवाई के लिए उन्हें भारत में सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
कैप्टन एन केनगुरुसे – Captain N Kenguruse
कैप्टन एन केनगुरुसे दूसरी बटालियन, राजपुताना राइफल्स सेन्य अधिकारी थे. वह 28 जून 1999 को कारगिल युद्ध में द्रास सेक्टर में लोन हिल पर शहीद हुए थे. युद्ध के मैदान में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय – Captain Manoj Kumar Pandey
गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन के कैप्टन मनोज कुमार पांडे ने ‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान कई साहसिक हमलों में भाग लिया और 11 जून, 1999 को बटालिक सेक्टर से घुसपैठियों को वापस भागने पर मजबूर कर दिया. उनके नेतृत्व में ही 3 जुलाई 1999 के तड़के भारतीय सेना ने जौबर टॉप और खालूबर पर वापस कब्जा किया. बुरी तरह से चोटिल कैप्टन मनोज पांडे ने पहाड़ी की चोटी पर दम तोड़ दिया और उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
कैप्टन विक्रम बत्रा – Captain Vikram Batra
13वीं जम्मू-कश्मीर राइफल्स के कैप्टन विक्रम बत्रा को टोलोलिंग रिज की चोटी 5140 पर फिर वापस भारत के कब्जे में लेने की जिम्मेदारी दी गई, जहां पाकिस्तानी घुसपैठियों ने बंकरों में पोजीशन ली हुई थी. 26 जुलाई 1999 को एक घायल सैनिक को बचाने के प्रयास में वे शहीद हो गए. जिस चोटी पर उनकी मृत्यु हुई, वह प्वाइंट 4875 है, जिसे अब ‘बत्रा टॉप’ कहा जाता है. उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
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