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Keshav Prasad Maurya: RSS की पाठशाला में हुए परिपक्व, BJP को दोबारा सत्ता में वापसी के लिए हैं प्रयासरत

Keshav Prasad Maurya: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या कौशांबी जिले के सिराथू सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. फिलहाल वे विधान परिषद के सदस्य हैं. इसके पहले 2014 में इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल करके सांसद चुने गए थे. केशव प्रसाद मौर्या ने फूलपुर में पहली बार भगवा झंडा लहराया था.

Published: January 19, 2022 11:15 AM IST

By Manoj Yadav

Keshav Prasad Maurya: RSS की पाठशाला में हुए परिपक्व, BJP को दोबारा सत्ता में वापसी के लिए हैं प्रयासरत
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)

Keshav Prasad Maurya: केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं. वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य हैं और इन्होंने इलाहाबाद (Allahabad) जिले के फूलपुर संसदीय क्षेत्र से 2014 का आम चुनाव लड़े और जीत गए. अपनी पहली चुनावी सफलता का स्वाद चखने के एक दशक बाद, भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के मौजूदा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने पैतृक सिराथू लौटने के लिए तैयार हैं.

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प्रयागराज से सटे पिछड़े जिले कौशांबी में स्थित निर्वाचन क्षेत्र, 2017 में भाजपा गठबंधन की 325 सीटों में से एक था. मौजूदा विधायक शीतला प्रसाद “पप्पू पटेल” को केशव मौर्या को समायोजित करने के लिए छोड़ना पड़ा, जो पिछड़े वर्ग के नेता हैं.

केशव प्रसाद मौर्या आरएसएस-भाजपा (RSS-BJP) का राज्य में एक पिछड़े वर्ग के नेता का चेहरा हैं, जो गैर-यादव पिछड़ा वर्ग समुदायों से अपील करने के लिए पार्टी के ओबीसी प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में हिंदुत्व में तैयार किया गया है.

1969 में जन्मे केशव प्रसाद मौर्या ने इलाहाबाद में हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी साहित्य का अध्ययन किया. उनका कहना है कि उन्होंने बचपन में चाय और समाचार पत्र बेचे थे.

केशव प्रसाद मौर्या कम उम्र से ही आरएसएस (RSS) और उसके सहयोगी संगठन, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) से जुड़े रहे हैं. बाल स्वामी के रूप में शुरुआत करते हुए वे आरएसएस के नगर कार्यवाह और विहिप में प्रांत संगठन मंत्री के पद पर आसीन हुए. गोरक्षा आंदोलनों में सक्रिय रहते हुए, उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में भी भाग लिया.

2017 के चुनाव के महीनों पहले, भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्या, जो उस समय फूलपुर के सांसद थे, उनको प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया, क्योंकि मौर्या ने बाकी पिछड़ी जातियों को यादवों के खिलाफ एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई.

राज्य में 8.5 फीसदी है केशव मौर्य के बिरादरी की आबादी

राज्य भर में फैले मौर्य, मोराव, कुशवाहा, शाक्य, कोइरी, कच्छी और सैनी जैसे विभिन्न नामों से जाने जाने वाले मौर्य की जाति के हैं. राज्य की ओबीसी आबादी का लगभग 8.5% होने का अनुमान है.

इलाहाबाद पश्चिम सीट से लगातार दो बार हार चुके हैं चुनाव

केशव प्रसाद मौर्या के चुनावी करियर की शुरुआत इलाहाबाद पश्चिम सीट से लगातार दो हार के साथ हुई. लेकिन 2012 में उन्होंने सिराथू से जीत हासिल की. फिर उन्हें 2014 में फूलपुर से लोकसभा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया. केशव प्रसाद पीएम मोदी की लोकप्रियता पर सवार होकर, उन्होंने तत्कालीन नेहरू-गांधी गढ़ से 52% से अधिक वोट हासिल किए. पहली बार फूलपुर में भगवा लहराया था.

2017 में सीएम बनने की संभावना थी

भाजपा ने 2017 का चुनाव बिना सीएम के घोषित चेहरे के लड़ा था, लेकिन केशव प्रसाद मौर्या को उनके समर्थकों द्वारा पार्टी के सत्ता में आने पर इस पद पर कब्जा करने की संभावना के तौर पर देखा गया था. हालांकि, भाजपा के बहुमत दर्ज करने के बाद, उसके केंद्रीय नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ, जाति से क्षत्रिय, को मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया. जाति समीकरण में संतुलन बनाने के लिए, भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य को लखनऊ के ब्राह्मण चेहरा मेयर दिनेश शर्मा के साथ डिप्टी सीएम नियुक्त किया.

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Published Date: January 19, 2022 11:15 AM IST