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Pandit Birju Maharaj: कथक सम्राट बिरजू महाराज का निधन, जानें उनसे जुड़ी 10 अहम जानकारियां

बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ के कथक घराने में हुआ था. उनके पिता अच्छन महाराज और चाचा शम्भू महाराज थे. दोनों ही देश के प्रसिद्ध कलाकारों में शुमार हैं. पिता की मृत्यु के बाद बिरजू महाराज को नृत्य प्रशिक्षण उनके चाचा से मिला.

Updated: January 17, 2022 9:43 AM IST

By Avinash Rai

Pandit Birju Maharaj: कथक सम्राट बिरजू महाराज का निधन, जानें उनसे जुड़ी 10 अहम जानकारियां

Pandit Birju Maharaj: मशहूर कथक नर्तक और पद्म विभूषण सम्मान (Padma Vibhushan) से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज का रविवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 83 वर्षीय बिरजू महाराज देर रात अपने दिल्ली स्थित आवास पर पोते के साथ खेल रहे थे. इस दौरान वे अचानक बेहोश हो गए और आनन-फानन में उन्हें दिल्ली के साकेत अस्पताल ले जाया गया, यहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. बता दें कि बिरजू महाराज (Pandit Birju Maharaj) के निधन की सूचना उनके पोते स्वरांश मिक्षा ने दी. वहीं पोती रागिनी ने बताया कि पिछले एक महीने से उनका इलाज चल रहा था. उन्होंने मेरे हाथ से खाना खाया, मैंने उन्हें कॉफी पिलाई. देर रात उन्हें सांस लेने में तकनीफ हुई. हम उन्हें अस्पताल ले गए तो यहां उन्हें नहीं बचाया जा सका.

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बिरजू महाराज से जुड़ी 10 अहम बातें
बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ के कथक घराने में हुआ था. उनके पिता अच्छन महाराज और चाचा शम्भू महाराज थे. दोनों ही देश के प्रसिद्ध कलाकारों में शुमार हैं. पिता की मृत्यु के बाद बिरजू महाराज को नृत्य प्रशिक्षण उनके चाचा से मिला.

कई बॉलीवुड फिल्मों में नृत्य सिखा चुके हैं बिरजू महाराज. उनके द्वारा सिखाए गए डांस स्टेप, चेहरे के हाव भाव को आज भी कुछ खास फिल्मों में महसूस किया जा सकता है. इसकी प्रशंसा चाहे जितनी ही की जाए उतनी कम है. उमराव जान, डेढ़ इश्किया, बाजीराव मस्तानी, देवदास जैसी फिल्मों में नृत्य सिखा चुके हैं.

विश्वरूपम फिल्म जिसमें कमल हासन को बिरजू महाराज ने नृत्य सिखाया था. इस कोरियोग्राफी के लिए बिरजू महाराज को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किय गया था.

साल 2016 में फिल्म बाजीराव-मस्तानी के गाने मोहे रंग दो लाल गाने की कोरियोग्राफी के लिए बिरजू महाराज को फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बरजू महाराज का पूरा नाम पंडित बृजमोहन मिश्र है. हालांकि पहले इनका नाम ‘दुखहरण’ यानी दुखों को हरने वाला रखा गया था, लेकिन बाद में बदल कर ‘बृजमोहन नाथ मिश्रा’ कर दिया गया.

नृत्य के साथ साथ संगीत की दुनिया में भी बिरजू महाराज की पकड़ काफी अच्छी थी. बिरजू महाराज शानदार ड्रमर हैं. तबला और नाल बजाने का उन्हें काफी शौक था. तार वाद्य, सितार, सरोद, वायलिन, सारंगी बजाने में उनका कोई तोड़ नहीं है. हालांकि इसके लिए उन्होंने कभी कोई प्रशिक्षण नहीं ली.

22 वर्ष की उम्र में ही बिरजू महाराज को केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जा चुका है.

बिरजू महाराज के पहले गुरु उनके पिता और चाचा ही थे जो कि खुद बेहतरीन कलाकार थे. पिता अच्छन महाराज और उनके चाचा लच्छू महाराज ने बिरजू महाराज को कला दीक्षा देनी शुरू की थी. कथक बिरजू महाराज को विरासत में मिली थी.

बिरजू महाराज की 5 संतानें हैं. इनमें तीन बेटियां और 2 बेटे शामिल हैं.

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Published Date: January 17, 2022 9:37 AM IST

Updated Date: January 17, 2022 9:43 AM IST