नई दिल्ली: 71 साल का लंबा अंतराल कम नहीं होता. भारत ने साल 1948 में ऑस्ट्रेलिया में अपना पहला टेस्ट मैच खेला था, लेकिन टेस्ट सीरीज में पहली जीत के लिए उसे 2019 तक का इंतजार करना पड़ा. इस ऐतिहासिक जीत में टीम इंडिया के हर खिलाड़ी ने अपनी भूमिका निभाई. यह सही है कि स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की अनुपस्थिति में ऑस्ट्रेलियाई टीम की बल्लेबाजी कमजोर थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया जैसी चैंपियन टीम के लिए उनकी कमी को पूरा करना असंभव होगा, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. हालांकि, यह भी सच्चाई है कि टीम इंडिया ने हर क्षेत्र में कंगारू टीम को पछाड़कर अपनी विजय पताका फहराई. बल्लेबाजी ही नहीं, गेंदबाजी और फील्डिंग में भी विराट कोहली की टीम ने कंगारू खिलाडि़यों को जबरदस्त मात दी. Also Read - Top 10 Most followed Person on instagram: इंस्टाग्राम पर 10 सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले व्यक्ति, विराट कोहली हैं कोसों पीछे
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ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी नहीं लगा पाए एक भी सेंचुरी Also Read - Ind vs Eng: दो तरह की मिट्टी से मिलाकर बनाई गई है मोटेरा की पिच, पूर्व कप्तान धोनी ने किया था मिक्स ट्रेंड का समर्थन
चार टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत की ओर से पांच शतक लगे. अकेले चेतेश्वर पुजारा ने ही तीन शतक ठोंक डाले. इसके अलावा भारत की ओर से सीरीज में आठ अर्धशतक लगे. ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने भी आठ हाफ सेंचुरी लगाई, लेकिन एक भी खिलाड़ी शतक नहीं लगा पाया. सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 79 रन रहा जो मार्कस हैरिस ने अंतिम मैच में बनाया.
फ्लॉप टॉप ऑर्डर
सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने कुल 1723 रन बनाए जबकि भारतीय टीम ने 2029. भारतीय टीम का बैटिंग एवरेज 32.72 रहा तो ऑस्ट्रेलिया का 24.61. दरअसल, ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाजी का टॉप ऑर्डर उसकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुआ. सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के टॉप ऑर्डर के छह बल्लेबाजों का औसत महज 27.02 रहा. वहीं, टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर का औसत 37.51 रहा, यानी भारतीय बल्लेबाजों ने ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले हर पारी में 10 से ज्यादा रन बनाए.
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नंबर 3 की लड़ाई जीत गए पुजारा
सीरीज की शुरुआत से पहले पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने कहा था कि ऑस्ट्रेलियाई टीम में नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने वाले उस्मान ख्वाजा सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाएंगे. उनका अंदाजा इस लिहाज से सही रहा कि सीरीज के नतीजे में नंबर 3 के बल्लेबाज की ही भूमिका सबसे अहम रही लेकिन ऑस्ट्रेलिया की बदकिस्मती रही कि इसमें भारत के नंबर 3 बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा आगे रहे. इतने आगे कि ख्वाजा उनके मुकाबले में कहीं नहीं दिखे. पुजारा इस सीरीज में तीन शतकों सहित 521 रन बनाकर मैन ऑफ द सीरीज बने तो ख्वाजा के खाते में केवल 167 रन आए. पूरी सीरीज में वे केवल एक हाफ सेंचुरी लगा पाए.
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कंगारुओं पर भारी पड़ी भारतीय गेंदबाजों की तिकड़ी
सीरीज शुरू होने से पहले ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजी आक्रमण को भारत के मुकाबले दमदार बताया गया था. मिशेल स्टार्क, जोश हेजलवुड और पैट कमिंस की तिकड़ी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फास्ट बॉलिंग अटैक माना जाता है, लेकिन इस सीरीज में ये तीनों भारतीय तेज गेंदबाजों की तिकड़ी इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह से पीछे रह गए. भारतीय तेज गेंदबाजों ने सीरीज में 21.62 की औसत से 48 विकेट लिए. वहीं, ऑस्ट्रेलिया की फास्ट बॉलिंग अटैक के खाते में 40 विकेट तो आए, लेकिन इसके लिए उन्हें भारत की तुलना में हर विकेट के लिए करीब नौ रन ज्यादा खर्च करने पड़े. इतना ही नहीं, स्ट्राइक रेट के मामले में भी वे इशांत, शमी और बुमराह से मुकाबला नहीं कर पाए. भारतीय तेज गेंदबाजों ने प्रति 49.6 गेंद पर एक विकेट हासिल किया जबकि कंगारुओं को इसके लिए 65.4 गेंदें फेंकनी पड़ी.
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पुरानी गेंद से मारक चोट
तेज गेंदबाजों से विकेट की सबसे ज्यादा उम्मीद नई गेंद के साथ होती है. ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज इस मामले में भारतीयों से आगे रहे. ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने नई गेंद के साथ सीरीज में 15 विकेट लिए जबकि भारतीय गेंदबाजों के हिस्से में 9 विकेट ही आए. लेकिन भारत के तेज गेंदबाजों ने इसकी कसर पुरानी गेंद से पूरी कर दी. इशांत,शमी और बुमराह ने पुरानी गेंद के साथ ऑस्ट्रेलिया के 20 बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा. वहीं, स्टार्क, हेजलवुड और कमिंस के खाते में पुरानी गेंद से 8 विकेट ही आ सके.