
कैसे सौरव गांगुली के एक फैसले ने बदल दिया वीरेंदर सहवाग का पूरा करियर
वीरेंदर सहवाग ने 2001 में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो वनडे में पहली बार सलामी बल्लेबाजी की।

अगर भारतीय क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाजों की सूची बनाए जाए तो पूर्व दिग्गज वीरेंदर सहवाग (Virender Sehwag) और मौजूदा टीम के उपकप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) का नाम टॉप-5 में शामिल होगा। लंबे-लंबे छक्के लगाने के अलावा इन दोनों बल्लेबाजों के बीच एक और बात समान है। रोहित और सहवाग, दोनों खिलाड़ियों के करियर में बड़ बदलाव तब आया जब उनके कप्तानों ने उन्हें सलामी बल्लेबाजी करने का मौका दिया।
Also Read:
रोहित के लिए ये फैसला महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने लिया था, तो सहवाग के करियर में बदलाव लाने का श्रेय सौरव गांगुली को जाता है। कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के पूर्व डॉयरेक्टर जॉय भट्टाचार्य ने गौरव कपूर के साथ उनके शो 22 यार्न पॉडकास्ट में ये बात कही।
गांगुली की कप्तानी के बारे में बात करते हुए भट्टाचार्य ने कहा, “युवराज को देखें, सहवाग को देखें। आपको पता है कि उसने सहवाग के साथ क्या किया। उन्होंने उससे कहा ‘देखो मध्यक्रम में भीड़ लगी है। अगर आपको भारत के लिए खेलना है तो सलामी बल्लेबाजी करनी होगी। मध्यक्रम में मैं हूं, तेंदुलकर, लक्ष्मण, द्रविड़ हैं…..तुम्हें कहां मौका मिलेगा? युवराज सिंह को कई सालों तक मौका नहीं मिला क्योंकि मध्यक्रम में भीड़ है। जाओ और ओपन करो। और फिर सहवाग ने सलामी बल्लेबाजी की और इतिहास बन गया।”
1999 में भारतीय टीम के लिए वनडे डेब्यू करने वाले सहवाग ने साल 2001 में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो वनडे में पहली बारी सलामी बल्लेबाजी की और पहली ही गेंद पर आउट हो गए। इसके बावजूद गांगुली अपने फैसले पर कायम रहे और सहवाग आगे चलकर भारत के सबसे सफल सलामी बल्लेबाज बने।
सहवाग ने 251 वनडे मैचों में 35.05 की औसत से 8,273 रन बनाए, जिसमें 15 शतक और 38 अर्धशतक शामिल हैं। टेस्ट करियर में सहवाग ने 180 पारियों में 49.34 की औसत से 8,586 रन बनाए। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 23 शतक और 32 अर्धशतक लगाए।
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें की और अन्य ताजा-तरीन खबरें