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चीन खेल की दुनिया में भी अपनी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहा है. उसने अपना मशालवाहक अपने एक सैनिक को बनाया है, जो साल 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुए खूनी संघर्ष में गंभीर रूप से घायल हुआ था. इसका कई देश विरोध कर रहे हैं और उसकी इस हरकत का शर्मनाक करार दिया है. अब भारत ने फैसला किया है कि बीजिंग में मौजूद भारतीय राजनयिक बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक 2022 की ओपनिंग और क्लोजिंग सेरिमनी में भाग नहीं लेंगे. इसके अलावा भारत का राष्ट्रीय खेल चैनल डीडी स्पोर्ट्स भी विंटर ओलंपिक के इन दोनों कार्यक्रमों का प्रसारण नहीं करेगा.
बीजिंग में शुक्रवार यानी 4 फरवरी से विंटर ओलंपिक की शुरुआत हो रही है, जो 20 फरवरी तक चलेंगे. इन खेलों के लिए चीन ने अपनी नापाक हरकत की और अपनी सेना पीएलए के एक जवान, क्यूई फैबाओ को अपना मशाल वाहक चुना है, जो गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुए खूनी संघर्ष में घायल हुआ था. चीन द्वारा ओलंपिक का राजनीतिकरण करने के उसके दुस्साहस को भारत ने निराशाजनक करार दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन की रिपोर्ट पर कहा, ‘भारतीय दूत बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में शामिल नहीं होंगे.’ इसके बाद प्रसार भारती ने भी यह निर्णय ले लिया कि वह चीन के विंटर ओलंपिक में ओपनिंग और क्लोजिंग सेरिमनी कार्यक्रर्मों का प्रसारण नहीं करेगा.
प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने ट्वीट किया, ‘विदेश मंत्रालय की घोषणा के बाद, बीजिंग में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन और समापन समारोह का सीधा प्रसारण नहीं करेगा.’
मशालवाहक सैनिक पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिसकी पहचान क्यूई फैबाओ के रूप में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का एक रेजिमेंटल कमांडर के रूप में हुई है. जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पीएलए और भारतीय सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष के दौरान फैबाओ गंभीर रूप से घायल हुआ था.
(इनपुट: आईएएनएस)
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