
दिग्गज हॉकी खिलाड़ी Charanjit Singh का हुआ निधन, भारत को दो बाद दिला चुके हैं ओलंपिक पदक
पद्मश्री सम्मान से नवाजे जा चुके चरणजीत सिंह उस टीम का हिस्सा थे जिसनें 1964 के ओलंपिक में पाकिस्तान को फाइनल में हराकर भारत को स्वर्ण दिलाया था. 1960 के ओलंपिक में भारत ने रजत पदक जीता.

भारत को दो ओलंपिक पदक दिलाने वाले दिग्गज हॉकी के दिग्गज चरणजीत सिंह (Charanjit singh) का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्हें पद्मश्री औश्र अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. उन्होंने हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में पैत्रिक निवास पर अंतिम सांस ली. 20 नवंबर 1929 को जन्मे चरणजीत सिंह उस टीम का हिस्सा थे जिसने साल 1960 के रोम ओलंपिक में रजत पदक जीता था. फिर 1964 के टोक्यो ओलंपिक के फाइनल में हराकर उनकी टीम ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
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चरणजीत सिंह कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून और पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र थे. अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में अपने शानदार करियर के बाद, उन्होंने शिमला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक के रूप में काम किया.
हॉकी इंडिया ने प्रकट किया शोक
हॉकी इंडिया ने गुरुवार को महान चरणजीत सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया. एसोसिएशन ने कहा, जब हॉकी इंडिया ने टोक्यो ओलंपिक खेलों 2020 की अगुवाई में फ्लैशबैक सीरीज के लिए जून 2021 में लीजेंड का साक्षात्कार लिया था, तो उन्होंने 1964 में टोक्यो ओलंपिक के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल को याद किया था.
उन्होंने याद करते हुए कहा था, “उस समय दोनों टीमों को सबसे मजबूत टीमों में से एक माना जाता था और हमने उनके खिलाफ एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण साहस दिखाया था. इसके अलावा आप जानते हैं कि जब आप पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हैं तो यह कितना तीव्र हो जाता है, वह भी ओलंपिक फाइनल में. इसके बाद हमने मैच 2-1 से मैच जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया था.”
उन्होंने कहा, “देश के लिए दो पदक जीतना मेरे लिए गर्व और सम्मान का क्षण रहा है. आप जानते हैं, 1964 के टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद एयरपोर्ट पर हमारे आगमन पर हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया, वहां प्रशंसकों की काफी भीड़ थी और यह हम में से हर एक के लिए एक बहुत ही खास एहसास था.”
‘हॉकी बिरादरी के लिए दुखद दिन’
चरणजीत सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोमबम ने कहा, “यह हॉकी बिरादरी के लिए एक दुखद दिन है. अपने बुढ़ापे में भी वह हर बार हॉकी के बारे में बातचीत करते थे. वह भारत के हॉकी के सुनहरे दिनों का हिस्सा रहे हैं. वह एक महान हाफबैक थे, जिन्होंने खिलाड़ियों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया.”
उन्होंने आगे कहा, “वह एक बहुत ही शांत नेतृत्व वाले कप्तान थे और उन्हें मैदान पर उनके अविश्वसनीय कौशल और मैदान के बाहर उनकी विनम्रता के लिए हमेशा याद किया जाएगा. हॉकी इंडिया की ओर से मैंने उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है.”
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