'सचिन तेंदुलकर बल्लेबाजी पर ध्यान देना चाहते थे, इसलिए सौरव गांगुली को कप्तान बनाया गया था'

टीम इंडिया के नए चयनकर्ता चंद्रू बोर्डे ने कहा कि सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाजी पर ध्यान देने के लिए कप्तानी छोड़ी।

Published: June 22, 2020 6:24 PM IST

By India.com Hindi Sports Desk | Edited by Gunjan Tripathi

'सचिन तेंदुलकर बल्लेबाजी पर ध्यान देना चाहते थे, इसलिए सौरव गांगुली को कप्तान बनाया गया था'
सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली (IANS)

पूर्व भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपने करियर में टीम इंडिया के लिए कई मैचविनिंग पारियां खेली और कई विश्व रिकॉर्ड बनाए। बतौर बल्लेबाज सचिन का करियर सफलता की ऊंचाईओं पर रहा लेकिन उनकी कप्तानी में वो बात नहीं थी।

सचिन ने 1996 से 2000 तक 98 मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की थी। इस दौरान उनकी बल्लेबाजी औसत में गिरावट आई थी। आखिर में तेंदुलकर ने ये फैसला किया कि उन्हें कप्तानी का अतिरिक्त दबाव नहीं चाहिए। जिसके बाद सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) को टीम का कप्तान बनाया गया, ऐसा कहना है पूर्व चयनकर्ता चंद्रू बोर्डे का। बोर्डे ने बताया कि उन्होंने सचिन को टीम का कप्तान बने रहने के लिए मनाने की कोशिश की थी, लेकिन वो केवल अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना चाहते थे।

बोर्डे ने स्पोटर्सक्रीडा से कहा, ” देखिए, अगर आपको याद हो तो हमने उन्हें कप्तान के तौर पर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भेजा था। उन्होंने वहां टीम की कमान संभाली लेकिन जब लौटकर आए तो कप्तानी नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कहा था, नहीं मैं अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना चाहता हूं। मैंने उनसे कहा था कि आप कुछ लंबे समय के लिए कप्तानी करें क्योंकि हमें नए कप्तान को ढूंढ़ना होगा।”

पूर्व चयनकर्ता प्रमुख ने कहा, “लेकिन सचिन ने कहा कि वो अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना चाहते हैं क्योंकि वह टीम के लिए वैसा नहीं खेल पा रहा हैं, जैसा वो खेलना चाहते हैं। अंत में हमने गांगुली को कप्तान चुना।”

स्वाभाविक लीडर थे गांगुली

इससे पहले, पूर्व भारतीय कप्तान क्रिस श्रीकांत ने कहा था, “गांगुली काफी सक्रिय थे। वह ऐसे खिलाड़ी थे जो टीम संयोजन बनाने की काबिलियित रखते थे। जैसे 1976 में क्लाइव लायड ने विजेता वेस्टइंडीज टीम का संयोजन बनाया था। सौरव ने सही टीम को एक साथ रखा और फिर उन्हें प्रेरित किया। इसलिए गांगुली बहुत सफल कप्तान थे, विदेशी सरजमीं पर भी। उन्होंने विदेशों में जीतना शुरू किया। गांगुली में यह काबिलियत जन्म से ही थी।”

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