Top Recommended Stories

सचिन तेंदुलकर: कपिल देव को CWC ट्रॉफी उठाए देखा तभी से मैंने ये सपना देखा था, 2011 की जीत...

सचिन तेंदुलकर ने साल 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्‍तानी में खेलते हुए श्रीलंका के खिलाफ विश्‍व कप फाइनल जीता था.

Published: May 16, 2021 8:35 PM IST

By India.com Hindi Sports Desk | Edited by Sandeep Gupta

Sachin Tendulkar World Cup 2011
Sachin Tendulkar @ World Cup 2011

मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने साल 2011 विश्‍व कप में भारत की जीत को अपने करियर के सबसे सुनहरे पल करार दिया. कपिल देव के बाद साल 2011 में दूसरी बार भारतीय टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्‍तनी में 50 ओवरों का विश्‍व कप जीता था.
अनअकेडमी द्वारा आयोजित प्रोग्राम में चर्चा के दौरान सचिन तेंदुलकर ने करियर के शुरुआती 10 -12 साल के दौरान के तनाव पर भी बातचीत की.

सचिन (Sachin Tendulkar) ने कहा, “मैंने कपिल देव को विश्‍व कप उठाते हुए देखा था. तभी से मैंने भी विश्‍व कप उठाने का सपना देखा था. मैंने सोच लिया था जो कुछ भी बीच में आए मैं अपने सपने का पीछा जरूर करूंगा. मुंबई के वानखेड़े में अपने सपने को जीना आविश्‍वसनीय अनुभव था.”
सचिन तेंदुलकर ने आगे कहा, ‘‘ समय के साथ मैंने महसूस किया कि खेल के लिए शारीरिक रूप से तैयारी करने के साथ आपको खुद को मानसिक रूप से भी तैयार करना होगा. मेरे दिमाग में मैदान में प्रवेश करने से बहुत पहले मैच शुरू हो जाता था. तनाव का स्तर बहुत अधिक रहता था.’’

You may like to read

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने कहा, ‘‘ मैंने 10-12 वर्षों तक तनाव महसूस किया था, मैच से पहले कई बार ऐसा हुआ था जब मैं रात में सो नहीं पता था. बाद में मैंने यह स्वीकार करना शुरू कर दिया कि यह मेरी तैयारी का हिस्सा है. मैंने समय के साथ यह स्वीकार कर लिया कि मुझे रात में सोने में परेशानी होती थी. मैं अपने दिमाग को सहज रखने के लिए कुछ और करने लगता था. ’’

‘‘ मुझे मैच से पहले चाय बनाने, कपड़े इस्त्री करने जैसे कार्यों से भी खुद को खेल के लिए तैयार करने में मदद मिलती थी. मेरे भाई ने मुझे यह सब सिखाया था, मैं मैच से एक दिन पहले ही अपना बैग तैयार कर लेता था और यह एक आदत सी बन गयी थी. मैंने भारत के लिए खेले अपने आखिरी मैच में भी ऐसा ही किया था.’’

तेदुलकर (Sachin Tendulkar) ने कहा कि खिलाड़ी को मुश्किल समय का सामना करना ही पड़ता है लेकिन यह जरूरी है कि वह बुरे समय को स्वीकार करें. उन्होंने कहा, ‘‘ जब आप चोटिल होते है तो चिकित्सक या फिजियो आपका इलाज करते है. मानसिक स्वास्थ्य के मामले में भी ऐसा ही है. किसी के लिए भी अच्छे-बुरे समय का सामना सामान्य बात है.’’

उन्होंने (Sachin Tendulkar) कहा, ‘‘इसके लिए आपकों चीजों को स्वीकार करना होगा. यह सिर्फ खिलाड़ियों के लिए नहीं है बल्कि जो उसके साथ है उस पर भी लागू होती है. जब आप इसे स्वीकार करते है तो फिर इसका समाधान ढूंढने की कोशिश करते है.’’

Also Read:

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें Cricket की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.