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धार्मिक यात्रा: 30 जून से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा, इस दिन से होगा पंजीकरण, ऐसे बनता है यहां शिवलिंग

इस बार अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू होगी और इसके लिए पंजीकरण अप्रैल में शुरू होगा. एक दिन में सिर्फ 20 हजार लोगों का ही पंजीकरण किया जाएगा. 43 दिन की अमरनाथ यात्रा का समापन परंपरा के अनुरूप रक्षा बंधन के दिन होगा.

Published: March 28, 2022 9:41 AM IST

By Lalit Fulara

Amarnath Yatra 2022
Amarnath Yatra Travel Update: Here is Why Visit to Dham Will be Different This Year

Jammu and Kashmir Amarnath Yatra: इस बार अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू होगी और इसके लिए पंजीकरण अप्रैल में शुरू होगा. एक दिन में सिर्फ 20 हजार लोगों का ही पंजीकरण किया जाएगा. 43 दिन की अमरनाथ यात्रा का समापन परंपरा के अनुरूप रक्षा बंधन के दिन होगा. अमरनाथ, जम्मू-कश्मीर में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

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गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण दो साल यानी 2020 और 2021 में सांकेतिक अमरनाथ यात्रा को ही अनुमति दी गई थी. हालांकि इस दौरान यात्रा तो नहीं हुई, लेकिन वैदिक परंपरागत विधि से भोलेनाथ की पूजा जारी थी.

महत्वपूर्ण तारीखें

धार्मिक यात्रा की शुरुआत की तारीख- 30 जून
पंजीकरण की तारीख- 2 अप्रैल

अमरनाथ हिंदुओं (Hindus) का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है. यहां प्राकृतिक शिवलिंग बनता है और हर साल देश के कोने-कोने से श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ की यात्रा करते हैं. अमरनाथ, श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में 135 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.

इस पवित्र स्थल के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को मुश्किल से भरा सफर करना होता है. सरकार की तरफ से श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम किये जाते हैं. इस धार्मिक यात्रा की चुनौती को देखते हुए श्रद्धालुओं का पूरा मेडिकल चेकअप होता है.

धार्मिक महत्व, इतिहास और पौराणिक कथा

अमरनाथ (Amarnath Yatra) की यात्रा महाभारत काल से ही की जा रही है. कल्हण की राजतरंगिनी तरंग द्वितीय में कश्मीर के राजा सामदीमत के अमरनाथ यात्रा के प्रमाण मिलते हैं. सामदीमत भगवान शिव के भक्त थे और पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने जाते थे.

14वीं शताब्दी के मध्य में करीब 300 सालों तक अमरनाथ की यात्रा बाधित भी रही. स्वामी विवेकानंद ने भी 8 अगस्त 1898 में अमरनाथ की यात्रा की थी. यह भगवान शिव का सबसे पवित्र स्थल है और यहां स्थित गुफा में बाबा शिव ने अपनी पत्नी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था और कई वर्ष रहकर तपस्या की थी. भगवान शिव के पांच प्रमुख स्थल- कैलाश पर्वत, अमरनाथ, केदारनाथ, काशी और पशुपतिनाथ है. इनमें से पशुपतिनाथ नेपाल में स्थित है.

पौराणिक कथा है कि भगवान शिव जब माता पार्वती को कथा सुना रहें थे उस वक्त उनके अलावा एक कबूतर का जोड़ा भी वहां मौजूद था. जो कथा सुनकर अमर हो गया. कहा जाता है कि आज भी गुफा में श्रद्धालुओं को कबूतरों का जोड़ा दिखाई देता है. कहा जाता है कि मां पार्वती को कथा सुनाने के दौरान भगवान शइव ने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा, माथे के चंदन को चंदनवाड़ी में उतारा और गले के शेषनाग को शेषनाग स्थल पर छोड़ा था. ये सभी स्थान अमरनाथ यात्रा के दौरान रास्ते में दिखाई देते हैं.

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