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दिल्ली का दिल पुरानी दिल्ली और भव्यता नई दिल्ली में बसती है. यहां पर्यटकों के घूमने के लिए कई जगहें हैं. यह एक ऐसा शहर है जहां आपको कई संस्कृतियों का मेल-जोल देखने को मिल जाएगा. आप दिल्ली घूमने जा रहे हैं, तो अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की समाधि स्थल राजघाट जरूर जाएं. राजघाट यमुना नदी के किनारे स्थित है. जहां महात्मा गांधी की समाधि पर उनके वचनों को लिखा गया है. गांधी जी के आखिरी शब्द “हे राम” राजघाट पर काले संगमरमर पत्थर पर अंकित हैं. स्मारक के एक कोने में हमेशा ज्योति जलती है. हर साल लाखों की तादाद में पर्यटक गांधी समाधि पर फूल चढ़ाने आते हैं और उनकी समाधि का दर्शन करते हैं. राजनेताओं से लेकर देश-विदेश की मशहूर हस्तियां भी दिल्ली आने पर राजघाट जरूर जाती हैं.
महरौली स्थित कुतब मीनार दिल्ली की ऐतिहासिक इमारत है. इसे देखने के लिए भारत के कोने-कोने से टूरिस्ट आते हैं. यह दुनिया की सबसे ऊंची मीनार है. दिल्ली के आखिरी हिन्दू शासक की पराजय के फौरन बाद कुतुबुद्धीन ऐबक द्वारा इसे 73 मीटर ऊंची विजय मीनार के रूप में निर्मित कराया गया था.
इस इमारत की पांच मंजिलें हैं. पहली तीन मंजिलें लाल बलुआ पत्थर से निर्मित हैं. कुतुब मीनार की चौथी और पांचवीं मंजिलें मार्बल और बलुआ पत्थरों से निर्मित हैं. दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्धीन ऐबक ने 1200 ई. में इसके निर्माण कार्य शुरु कराया किन्तु वे केवल इसका आधार ही पूरा कर पाए थे. उनके उत्तराधिकारी अल्तमश ने इसकी तीन मंजिलें बनाई और 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई थी. कुतुब मीनार को देखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हर साल बड़ी तादाद में पर्यटक आते हैं.
जामा मस्जिद
जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है. जिसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने करवाया था. मस्जिद 1656 में बनी थी. इसे लाल और संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है. बताया जाता है कि इस मस्जिद के निर्माण में उस समय 10 लाख रुपए का खर्च आया था. जामा मस्जिद 6 साल में बनकर पूरी हुई थी. इसका पूर्वी द्वार सिर्फ शुक्रवार को खुलता है. मस्जिद में 11 मेहराब हैं और बीच वाला मेहराब सबसे बड़ा है. यहां जाने के लिए सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन चावड़ी बाजार है. हर धर्म के अनुयायी जामा मस्जिद को देखने के लिए जाते हैं.
अगर आप दिल्ली घूम रहे हैं तो लाल किला जरूर जाएं. मुगल वास्तुकला द्वारा लाल बलुआ पत्थर से बना यह सुंदर किला पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है. दिल्ली आने वाला हर शख्स लाल किला देखने जरूर जाता है. यह किला कभी सफेद रंग का हुआ करता था. इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने बनवाया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार इमारत के कुछ हिस्से चूने के पत्थर से बने थे. जब सफेद पत्थर अपनी जगह से निकलने लगे या खराब होने लगे तो अंग्रेजों ने इमारत को लाल रंग से रंग दिया. इस किले का असली नाम “किला-ए-मुबारक” था. अंग्रेजों ने इसका नाम रेड फोर्ट रख दिया और स्थानीय लोग इसे लाल किला बुलाने लगे.
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