
Aligarh Constituency: अलीगढ़ में क्या है चुनावी मुद्दा, कौन पार्टी यहां है आगे, जानें साल 2017 में कैसे भाजपा ने 7 सीटों पर दर्ज की जीत
नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे. ऐसे में चुनाव और अलीगढ़ विधानसभा सीट (Aligarh Constituency) को लेकर हर कोई अपने विधायक व पार्टियों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के बारे में जानकारी जुटाना चाहता है. बता दें कि अलीगढ़ और अलीगढ़ के 7 विधानसभा सीटों पर साल 2017 में भाजपा का दबदबा रहा.

Aligarh Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) का आयोजन 7 चरणों में किेया जा रहा है. 10 फरवरी से शुरू होकर यह चुनाव 7 मार्च चक चलेगी. नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे. ऐसे में चुनाव और अलीगढ़ विधानसभा सीट (Aligarh Constituency) को लेकर हर कोई अपने विधायक व पार्टियों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के बारे में जानकारी जुटाना चाहता है. बता दें कि अलीगढ़ और अलीगढ़ के 7 विधानसभा सीटों पर साल 2017 में भाजपा का दबदबा रहा.
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अलीगढ़ की राजनीतिक तस्वीर
साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अलीगढ़ व अलीगढ़ की सभी सीटों- छर्रा, कोल, खैर, बरौली, अतरौली, इगलास में जीत दर्ज की थी. भाजपा का प्रदर्शन साल 2017 में यहां चौंकाने वाला था. क्योंकि साल 2012 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को यहां एक भी सीट पर जीत नहीं मिली लेकिन साल 2017 विधानसभा चुनाव में चमत्कार भाजपा के पक्ष में देखने को मिला. साल 2012 विधानसभा चुनाव में यहां आरएलडी और समाजवादी पार्टी का दबदबा था.
प्रत्याशियों की सूची
अलीगढ़ विधासनभा सीट पर भाजपा ने अपने उम्मीदवार को बदल दिया है. वर्तमान विधायक को टिकट न देते हुए पार्टी ने अलीगढ़ से मुक्ता राजा को टिकट दिया है. वहीं आम आदमी पार्टी ने मोनिका थापर, बहुजन समाज पार्टी ने रजिया खान, कांग्रेस ने सलमान इम्तियाज और समाजवादी पार्टी ने जफर आलम को अलीगढ़ सीट से टिकट दिया है.
चुनावी मुद्दा
अलीगढ़ में हिंदुत्व का मुद्दा साल 2017 में भी भाजपा के लिए असरदार रहा था. इस बार भी हिंदुत्व का मुद्दा अलीगढ़ में देखने को मिल रहा है. भले ही राज्य में हिंदुत्व अब एक मुद्दा न रह गया हो लेकिन अलीगढ़ में हिंदुत्व एक बड़ा मुद्दा है. क्योंकि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में यहां मुस्लिम डॉमिनेट करते थे. लोगों का कहना है कि यहां रात के समय छिनैती की घटनाएं होती, डर का माहौल बना रहता लेकिन योगी सरकार के आने के बाद ये घटनाएं थमी हैं.
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