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CM योगी के करीबी इस मुस्लिम नेता को 2024 के लिए BJP की सियासी बिसात का अहम मोहरा माना जा रहा है?

उत्तर प्रदेश में 37 बरस बाद पहली बार ऐसा हुआ कि किसी मुख्यमंत्री ने लगातार दूसरी बार राज्य की कमान संभाली. योगी आदित्यनाथ ने अपनी दूसरी पारी के लिए 52 सदस्यीय मंत्रिमंडल चुना.

Published: March 27, 2022 3:25 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Nitesh Srivastava

Danish Azad Anasari
एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी के साथ दानिश आजाद अंसारी (फाइल फोटो)

तीन दिन पहले तक दानिश आजाद (Danish Azad Ansari) अंसारी को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी (Yogi Adityanath) के करीबी मुखर युवा BJP नेता के तौर पर जाना जाता था, जिन्होंने मुस्लिम युवाओं को पार्टी से जोड़कर राज्य में भाजपा की ऐतिहासिक जीत की जमीन तैयार की और अब वह योगी सरकार के नए मंत्रिमंडल का इकलौता मुस्लिम चेहरा हैं, जिन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की जातीय बिसात का अहम मोहरा माना जा रहा है.

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योगी मंत्रिमंडल (Yogi Cabinet) के गठन के दिन दानिश को सुबह सवेरे जब मुख्यमंत्री आवास से मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की सूचना मिली तो यह उनके लिए सुखद आश्चर्य तो था, लेकिन अप्रत्याशित कतई नहीं था. उनका कहना था कि पार्टी के लिए काम करने वालों की मेहनत का सम्मान करना भाजपा की संस्कृति का हिस्सा है और ‘‘ मुझ जैसे एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकर पार्टी ने मेरा हौसला बढ़ाया है.’’ उन्होंने इसके लिए पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद देते हुए अपनी इस जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी के साथ निभाने का वचन भी दिया.

उत्तर प्रदेश में 37 बरस बाद पहली बार ऐसा हुआ कि किसी मुख्यमंत्री ने लगातार दूसरी बार राज्य की कमान संभाली. योगी आदित्यनाथ ने अपनी दूसरी पारी के लिए 52 सदस्यीय मंत्रिमंडल चुना. दानिश इस मंत्रिमंडल के इकलौते मुस्लिम सदस्य हैं. योगी सरकार की पहली पारी में उनके मंत्रिमंडल में शामिल रहे मोहसिन रजा के स्थान पर इस बार 34 बरस के दानिश आजाद अंसारी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. वह योगी सरकार के 31 नये चेहरों और सबसे युवा मंत्रियों में से एक हैं.

राजनीति के जानकारों का कहना है कि भाजपा ने दानिश को मंत्री पद देकर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण बनाने की कोशिश की है. दानिश मुस्लिमों के अंसारी समुदाय से आते हैं, जो एक तरह से पिछड़े वर्ग की जाति में गिना जाता है और संख्या बल में अधिक होने के बावजूद राज्य की राजनीति में इस समुदाय का दखल कुछ खास नहीं है. ऐसे में दानिश को मंत्री बनाकर पार्टी ने एक बड़ा दांव खेला है. इस बात में दो राय नहीं हैं कि दानिश पिछले काफी समय से अपने समुदाय के युवाओं को पार्टी से जोड़ने का काम कर रहे हैं.

दानिश का जन्म 30 मई 1988 को राज्य के बलिया जिले में समीउल्लाह अंसारी और नूरजहां बेगम के यहां हुआ था. बलिया के होली क्रास स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई की. इस दौरान वह भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता रहे.

पढ़ाई पूरी करने के बाद दानिश पार्टी के लिए लगातार छह बरस तक काम करते रहे. 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद उन्हें उर्दू भाषा समिति और फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी का सदस्य बनाकर बड़ी जिम्मेदारियों सौंपने का सिलसिला शुरू किया गया.

पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उन्हें अक्टूबर 2021 में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी देकर उनपर अपना विश्वास और मजबूत कर दिया. अंसारी पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे और भाजपा ने राज्य में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. पार्टी ने भी उन्हें राज्य के नवगठित मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री का दर्जा देकर सरकार का हिस्सा बना दिया.

INPUT- Bhasha

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