लखनऊ: बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में लापरवाही की वजह से बच्चों की मौत मामले में आरोपी डा. कफील खान हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आ गए हैं. वे आठ महीने के बाद जेल से बाहर आए हैं. उन्होंने बताया कि पूरा प्रकरण बहुत डरावना था. उन्हें जेल में खतरनाक अपराधियों के बीच रखा गया. जबकि इस पूरे मामले में विभाग के प्रमुख या अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से कोई सवाल नहीं पूछा गया था. इससे सिस्टम की खामी साफ जाहिर होती है. Also Read - सुहागरात को पता चली पति की ऐसी सच्चाई, नई नवेली दुल्हन के उड़े होश, छोड़कर भागी...
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की बात स्वीकार करते हुए डा. कफील ने कहा कि आक्सीजन की समस्या केवल पैडियटिक्स वार्ड में ही नहीं, बल्कि पूरे अस्पताल में थी और इसके बारे में जरूरी पत्रों को अधिकारियों को भेजा गया. लेकिन सरकार की ओर से इसे सिरे से खारिज कर दिया गया. उन्होंने कहा कि अगर मैं कहता हूं कि वार्ड में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी, तो मैं खुद से झूठ बोलूंगा और मैं पूरे देश से झूठ नहीं बोल सकता… पूरी कहानी बजट (ऑक्सीजन के आपूर्तिकर्ता का भुगतान करने के लिए) थी, जिसे उन्होंने दावा किया था. लेकिन तथ्य यह है कि कंपनी ने पिछले छह महीनों में 14 से ज्यादा पत्र लिखे थे, चेतावनी अधिकारियों ने कहा कि वे आपूर्ति में कटौती करेंगे. लेकिन भुगतान को लेकर कुछ कार्रवाई नहीं हुई. Also Read - Gorakhpur Zoo will Reopen: जनवरी से फिर से खुल जाएगा गोरखपुर का चिड़ियाघर, पर्यावरण मंत्री ने दी जानकारी
इलाहबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए डॉक्टर कफील खान
अन्य विभागों की भी होनी चाहिए थी जांच
आरोप लगाते हुए कि उस समय चिकित्सा विभाग के वार्ड नं 14 में 18 लोग मारे गए थे, खान ने कहा कि पूरे अस्पताल को तरल (ऑक्सीजन) की आपूर्ति की जाती है. अन्य विभागों में भी हताहतों की जांच होनी चाहिए. खान ने कहा कि उन दो दिनों के बारे में कई सवाल जवाब देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मैंने बच्चों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था करने का अतिरिक्त काम किया क्योंकि तरल ऑक्सीजन समाप्त हो गया था। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वो मानसिक रूप से थक चुके हैं. भावनात्मक रूप से टूट चुके हैं और शारीरिक रूप से बीमार हो चुके हैं. लेकिन राहत की बात है कि मैं 8 महीने के बाद अपने परिवार के पास वापस आ गया हूं. जेल की हालत पर बताते हुए उन्होंने कहा कि गोरखपुर जेल में 800 की क्षमता है लेकिन वहां रहने वाले कुल लोग लगभग 2000 हैं.
मुख्यमंत्री के निर्णय पर टिका भविष्य
डॉ. कफील ने कहा कि कई बार मैं सोचता था कि मैंने क्या गलत किया है कि मैं जेल में हूं. मेरा भविष्य मुख्यमंत्री योगी पर निर्भर करता है, अगर वह मेरे निलंबन को रद्द कर देते हैं तो मैं फिर से अस्पताल ज्वॉइन करूंगा और लोगों की सेवा करना जारी रखूंगा. उन्होंने मीडिया से भी अपील की कि उन्हें ऑक्सीजन कांड का आरोपी लिखना बंद करें.