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आखिर मथुरा में कृष्ण जन्मस्थली को लेकर क्यों उठा है विवाद, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी..

अयोध्या में राममंदिर निर्माण के बाद अब मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान पर मंदिर बनाने की मांग जोरों से उठ रही है. मामला अब कोर्ट तक पहुंच गया है. जानिए विवाद का कारण....

Published: September 30, 2020 2:17 PM IST

By Kajal Kumari

आखिर मथुरा में कृष्ण जन्मस्थली को लेकर क्यों उठा है विवाद, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी..
krishna janmbhoomi controversy

Krishna Janmbhoomi Controversy: राम मंदिर (Ram Mandir) का विवाद खत्म होने के बाद अब मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान को लेकर विवाद छिड़ गया है. राम जन्मभूमि (Ram janmbhoomi) की तरह श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जंग का एलान यूं ही नहीं किया गया, अतीत से लेकर वर्तमान तक की बातें इसके पीछे कही जा रही हैं. बता दें कि कृष्ण जन्मस्थान परिसर में मुगल शासक औरंगजेब के कार्यकाल में निर्मित ईदगाह मस्जिद को वहां से हटाने की मांग की जा रही है.

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बड़ी बात ये है कि मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह के विवाद को लेकर 136 साल तक केस चला. जिसके बाद अगस्त 1968 में महज ढाई रूपये के स्टांप पेपर पर समझौता किया गया. तत्कालीन डीएम व एसपी के सुझाव पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने दस प्रमुख बिदुओं पर समझौता किया था.

इतिहासकारों का मानना है कि इस जगह पर औरंगजेब ने केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था और वहां शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण करा दिया था. साल 1935 में इलाहाबाद कोर्ट ने वाराणसी के हिंदू राजा को जमीन के कानूनी अधिकार सौंप दिए थे, जहां आज मस्जिद खड़ी है.

रामनगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मामला कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने श्रीराम मंदिर के पक्ष में दिए फैसले के पैरा 117 में ‘संकल्प अमर रहने’ का स्पष्ट उल्लेख किया है, यह वाक्य इस मामले में भी नजीर बन सकता है.

श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दायर दावे में यहां श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक देने और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की है. इसके साथ ही मस्जिद समिति और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के बीच हुए समझौते को अवैध बताया गया है.

श्रीकृष्ण विराजमान व अन्य पक्षकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन ने वाद दायर किया है.हरिशंकर जैन ने 40 साल व विष्णु शंकर जैन ने 10 साल तक राम मंदिर के मुकदमे में पैरवी की .

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के मुताबिक राजा वीर सिंह बुंदेला ने 1618 में 33 लाख रुपये की लागत से श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर मंदिर का दोबारा निर्माण कराया था. इसकी जानकारी विभिन्न पुस्तकों में मिलती है. 1670 में औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करा मूर्तियों को वहां से हटवा दिया. इसका बकायदा फरमान जारी किया गया.

मुगल शासन पर कई पुस्तक लिखने वाले यदुनाथ सरकार की ‘एनिट डॉट्स ऑफ औरंगजेब पुस्तक में भी फरमान की कॉपी है. लेखक यात्री निकोलम मनूची ने भी अपनी किताब ‘इस्टोरिया डो मोगर में इसका जिक्र किया है. पांच अप्रैल, 1770 की गोवर्धन की जंग में मुगल शासकों से जीत के बाद मराठाओं ने पुन: मंदिर बनवाया. 1803 में मथुरा में अंग्रेज आए, उन्होंने 1815 में कटरा केशवदेव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि की नीलामी की, जिसे बनारस के राजा पटनीमल ने खरीदा.

इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर लोदी के शासन काल में तीसरी बार बने मंदिर को नष्ट कराया गया था और फिर चौथी बार औरंगजेब ने मंदिर को तोड़वा दिया था. अब फिर से कृष्ण जन्मभूमि में मंदिर बनाने की बात जोरों से उठी है जो अदालत तक पहुंची है. राम मंदिर निर्माण की अनुमति के बाद यहां भी मंदिर निर्माण की आस लगाए लोग बैठे हैं.

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Published Date: September 30, 2020 2:17 PM IST