Kunda Constituency: क्या है कुंडा का सियासी समीकरण, सपा की एंट्री से मुश्किल में पड़ेंगे रघुराज प्रताप सिंह? विस्तार से पढ़िए हर जरूरी बात

कुंडा में सपा ने बीस साल बाद अपना उम्मीदवार उतारा है. चुनाव में जातिगत समीकरण भी काफी मायने रखते हैं. चलिए यहां हम कुंडा विधानसभा (Kunda Assembly Seat Latest News) का सियासी गणित समझने की कोशिश करेंगे-

Published: February 2, 2022 6:27 PM IST

By Ikramuddin Saifi

Kunda Vidhan Sabha Chunav Parinam | Live Updates
Kunda Vidhan Sabha Chunav Parinam | Live Updates

Kunda Constituency: उत्तर प्रदेश में कुंडा विधानसभा क्षेत्र सबसे हाई प्रोफाइल सीट में शामिल है. यहां पिछले 29 सालों से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh alias Raja Bhaiya) चुनाव जीतते आए हैं और लगातार छह बार निर्दलीय विधायक चुने गए हैं. इस सीट पर आखिरी बार 1991 में भाजपा के शिव नारायण मिश्रा ने जीत दर्ज की थी. हालांकि भाजपा और बसपा यहां से चुनाव जीतने की लागातर कोशिश में हैं, मगर अभी तक कामयाबी हासिल नहीं की. साल 2002 के बाद से कुंडा में अपना उम्मीदवार ना देने वाली सपा ने भी इस बार गुलशन यादव (Gulshan Yadav) को टिकट दिया है. यहां से भाजपा ने सिंधुजा मिश्रा (Sindhuja Mishra) को टिकट दिया है. बसपा ने मोहम्मद फहीम और पप्पू भाई (Mohammad Faheem alias Pappu Bhai) को टिकट दिया है. चलिए यहां हम कुंडा विधानसभा (Kunda Assembly Seat Latest News) का सियासी गणित समझने की कोशिश करेंगे-

Also Read:

कुंडा विधानसभा का इतिहास

कुंडा प्रतापगढ़ की सात विधानसभा सीटों में से एक है, जहां पहली बार साल 1952 में चुनाव हुआ और तीन प्रत्याशी चुने गए. 1957 में भी दो निर्दलीय प्रत्याशी चुने गए. इसके बाद 1962-67 में कांग्रेस के टिकट पर नियाज हसन खान (Niyaz Hasan Khan) चुनाव जीते. 1967 में जय राम (SSP) के हाथों उनकी हार हुई और 1974 में एक बार फिर चुनाव जीतकर वापसी की, मगर पार्टी दूसरी (NCO) थी. 1977 में कुंडा सीट से साक्षी प्रभा (JNP) ने चुनाव जीता. 1980 में नियाज खान ने एक बार फिर कांग्रेस-आई के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

खान 1985 और 1989 में रिकॉर्ड छठी बार कुंडा से विधायक बने. 1991 में भाजपा के नारायण मिश्रा के हाथों उनकी हार हुई. इसके बाद 1993 में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (अब खबर में आगे राजा भैया नाम से पढ़ेंगे) ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार कुंडा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. राजा भैया 1993 से लगातार छह बार (1996, 2002, 2007, 2012 और 2017) विधायक निर्वाचित हुए हैं.

कुंडा निर्वाचन क्षेत्र का जातीय समीकरण

2011 की जनगणना के मुताबिक कुंडा की आबादी 9.10 लाख है और 2021 के आधार डेटा के मुताबिक ये संख्या 11.28 से अधिक हो सकती है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां अनुसूचित जातियों के 75 हजार, मुस्लिम 55 हजार, यादव 50 हजार, ब्राह्मण 40 हजार, क्षत्रिय 20 हजार, अन्य पिछड़ी जातियां 15 हजार और वैश्य 15 हजार मतदाता हैं.

कौन हैं राजा भैया

राजनीति में कदम रखने के बाद राजा भैया अभी तक चुनाव नहीं हारे हैं. वो पूर्व की भाजपा और सपा सरकारों में मंत्री रहे हैं. 1997 में कल्याण सिंह सरकार, 1999 में राम प्रकाश गुप्ता सरकार में मंत्री रहे. 2002 की राजनाथ सरकार में भी मंत्री रहे. राजा भैया 2013 में अखिलेश सरकार में भी मंत्री पद पर रहे. 16 नवंबर, 2018 को राजनीतिक पार्टी ‘जनसत्ता दल’ का गठन करने वाले राजा भैया अपने विरोधी उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराते आए हैं. 2017 के चुनाव में उन्हें 1,03,637 वोट मिले और नजदीकी प्रतिद्वंदी जानकी शरण को महज 32,960 मत मिले. बताया जाता है जानकी शरण इकलौते उम्मीदवार है जो राजा भैया के सामने 30 से ज्यादा वोट पाने में सफल रहे.

जन्म, पढ़ाई, संपत्ति और आपराधिक मामले

31 अक्टूबर, 1969 को उदय प्रताप सिंह के घर जन्मे राजा भैया ने चुनावी हलफनामे (2017) में अपने परिवार की कुल संपत्ति 14,25,84,083 बताई है. उनपर कोई देनदारी नहीं है. वो ग्रेजुएट हैं और लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. राजा भैया पर हत्या की कोशिश, अपहरण, भ्रष्टाचार, डकैती जैसे दर्जनों मामले दर्ज हैं. कई मामलों में उन्हें कोर्ट से राहत मिली हुई है. हालांकि एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि उनपर सिर्फ एक केस है और चुनावी हलफनामे में इसका ज्रिक करेंगे. यहां बता दें कि कुंडा विधायक मायावती के शासन पोटा कानून के तहत गिरफ्तार हुए और करीब ढाई साल तक जेल में रहे.

कौन हैं सपा उम्मीदवार गुलशन यादव

कुंडा से सपा उम्मीदवार गुलशन यादव को कभी राजा भैया का बहुत करीबी माना जाता था. मगर कुछ समय पहले दोनों की बीच दूरियां बढ़ गईं. गुलशन यादव मानिकपुर थाना क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटर रहे हैं. उनपर प्रतापगढ़ में हत्या, लूट, चोरी, बलवा के 21 मुकदमे भी दर्ज है. सीओ जियाउल हक हत्या मामले में गुलशन यादव को आरोपी बनाया गया था.

भाजपा की सिंधुजा मिश्रा के बारे में जानिए

कुंडा से भाजपा ने अबकी बार सिंधुजा मिश्रा पर दांव खेला है. मिश्रा ‘गुंडा विहीन कुंडा’ के नारे के साथ चुनावी मैदान में हैं. उन्होंने चुनावी में अपनी जीत का भरोसा जताते हुए कहा कि वो राजा भैया के कब्जे वाले को-ऑपरेटिव बैंक के चुनाव में उन्हें हराकर बैंक छीन चुके हैं. सिंधुजा मूल रूप से आजमगढ़ की निवासी है. उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से एमए बीएड और एलएलबी की डिग्री ली है. उन्होंने साल 2009 में बसपा के टिकट पर को-ऑपरेटिव बैंक का चुनाव लड़ा और राजा भैया के करीबी को मात दी. उनके पति शिव प्रकाश मिश्रा भी दो बार 2004 और 2012 में राजा भैया के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं.

कब हैं चुनाव

उत्तर प्रदेश की 403 सीटों सात चरणों में चुनाव होने हैं. प्रदेश में 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होना है. दस मार्च को मतों की गिनती होगी. वहीं कुंडा में पांचवें चरण 27 फरवरी को वोटिंग होगी.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें देश की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

Published Date: February 2, 2022 6:27 PM IST