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Lakhimpur-Kheri Case: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को बताया कि लखीमपुर हिंसा मामले की जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश ने आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की सिफारिश की है. साथ ही इस मामले में कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब भी मांगा है. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से सवाल किया, जिसमें कोर्ट ने पूछा कि ‘निगरानी न्यायाधीश की रिपोर्ट से ऐसा लगता है कि उन्होंने जमानत रद्द करने की सिफारिश की थी. आपका क्या रुख है?’
उसके बाद पीठ ने कहा कि एसआईटी के पास अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह, उत्तर प्रदेश को दो लिखित पत्र थे. उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि उन्हें पत्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उन्होंने मामले में निर्देश लेने के लिए कुछ समय मांगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि निगरानी न्यायाधीश ने सिफारिश की है कि मिश्रा को दी गई जमानत को चुनौती दी जानी चाहिए. जेठमलानी ने मामले में जवाब देने के लिए पांच मिनट का समय मांगा.
पीड़ित परिवारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि शीर्ष अदालत को या तो उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगानी चाहिए या मिश्रा को दी गई जमानत रद्द करनी चाहिए. दवे ने कहा, “उच्च न्यायालय का आदेश पूरी तरह से सही नहीं है. ”
इसपर जेठमलानी ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त गृह सचिव से बात की है और उन्हें जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश से पत्र नहीं मिले हैं. पीठ ने कहा कि न्यायाधीश के पत्रों की प्रति राज्य सरकार को दी जानी चाहिए. जेठमलानी ने पीठ से मामले पर अगली सुनवाई सोमवार को रखने का अनुरोध किया है. पीठ ने जवाब दिया कि एक महीने से ज्यादा हो गया है और अब इस मामले को नहीं उठाया जा सकता है.
सुनवाई की अगली तारीख 4 अप्रैल रखी गई है.
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था. शीर्ष अदालत ने घटना की जांच कर रही एसआईटी का पुनर्गठन भी किया और आईपीएस अधिकारी एस.बी. शिराडकर को इसका प्रमुख नियुक्त किया.
बता दें कि लखीमपुर खीरी मामले में दोष सिद्ध होने के बाद आशीष मिश्रा को पिछले साल 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था. 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों में 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली अपील दायर करने का निर्णय संबंधित अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन है.
लखीमपुर खीरी में मिश्रा की कार से कुचले गए किसानों के परिवार के सदस्यों ने उन्हें मिली जमानत को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. वह केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे हैं. पीड़ित परिवारों ने दावा किया है कि राज्य ने मिश्रा को जमानत दिए जाने के विरोध में अपील दायर नहीं की है.
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