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लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ (Lucknow Bench) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने बुधवार को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया कांड (Lakhimpur violence) मामले में आशीष मिश्र (Ashish Mishra) की जमानत की अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. जमानत अर्जी पर सुनवाई से पहले ही न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. न्यायमूर्ति सिंह ने ही पूर्व में आशीष को जमानत दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को रद्द कर दिया था. प्रकरण की सुनवाई के लिए नए न्यायाधीश के मनोनयन के बाद अदालत मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख नियत करेगी.
बता दें कि आशीष मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछली 18 अप्रैल को जमानत रद्द किए जाने के बाद गत रविवार को लखीमपुर खीरी की एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था. शीर्ष अदालत ने प्रासंगिक तथ्यों और इस तथ्य पर ध्यान देने के बाद कि पीड़ितों को सुनवाई का पूरा अवसर नहीं दिया गया था, गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से सुनवाई के लिए जमानत अर्जी को वापस भेज दिया था.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत 18 अप्रैल को रद्द कर दी थी और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था. न्यायालय ने कहा कि पीड़ितों को जांच से लेकर आपराधिक मुकदमे की समाप्ति तक कार्यवाही में हिस्सा लेने का निर्बाध अधिकार है.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीड़ितों को निष्पक्ष एवं प्रभावी तरीके से नहीं सुना गया, क्योंकि उसने (उच्च न्यायालय ने) साक्ष्यों को लेकर संकुचित दृष्टिकोण अपनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उच्च न्यायालय ने अप्रासंगिक विवेचनाओं को ध्यान में रखा और प्राथमिकी की सामग्री को अतिरिक्त महत्व दिया.
पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान आठ लोग मारे गए थेृ. यह हिंसा तब हुई थी जब कृषि कानूनों के खिलाफ आक्रोशित किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का केंद्रीय मंत्री टेनी के गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में जाने का विरोध कर रहे थे.
पुलिस में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया था. घटना के बाद गुस्साए किसानों ने वाहन चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला था. इस दौरान हुई हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी. (इनपुट: भाषा)
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