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प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के मामले में 29 मार्च, 2022 से नियमित सुनवाई का आदेश दिया. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने वाराणसी के अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के संपूर्ण परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वेक्षण पर पहले ही रोक लगा रखी है. बृहस्पतिवार को मामले की सुनवाई में केंद्र सरकार के वकील ने दलील दी कि शिकायत के तथ्यों से स्पष्ट है कि भगवान विश्वेश्वर का मंदिर प्राचीन काल अर्थात सतयुग से अस्तित्व में है और स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर उस विवादित ढांचे में विराजमान हैं. इसलिए विवादित जमीन स्वयं में भगवान विश्वेश्वर का एक आंतरिक भाग है.
आगे यह दलील भी दी गई है कि मंदिर का आकार चाहे जो भी हो, भूतल का तहखाना अब भी वादी के कब्जे में है जोकि 15वीं शताब्दी से पूर्व निर्मित मंदिर का ढांचा है. साथ ही उस पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र जो 15 अगस्त, 1947 के दिन था, वैसा ही बना हुआ है. इसलिए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों को यहां लागू नहीं किया जा सकता. हालांकि समय की कमी के चलते बहस पूरी नहीं हो सकी और अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च, 2022 को अन्य संबंधित मामलों के साथ करने का आदेश दिया. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि इसके बाद भी नियमित आधार पर बहस जारी रहेगी.
इससे पूर्व अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस याचिका में पक्षकार बनाने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार किया था. याचिकाकर्ता के मुताबिक, वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने 8 अप्रैल को एक आदेश पारित कर एएसआई को सर्वेक्षण का निर्देश दिया था जोकि अवैध और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का आदेश था.
उल्लेखनीय है कि वाराणसी की एक अदालत ने 8 अप्रैल, 2021 को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का समग्र भौतिक सर्वेक्षण कराने के लिए दो हिंदू, दो मुस्लिम सदस्यों और एक पुरातत्व विशेषज्ञ की पांच सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया था. मूल वाद वाराणसी में 1991 में दायर किया गया था जिसमें प्राचीन मंदिर को जहां ज्ञानवापी मस्जिद वर्तमान में मौजूद है, बहाल करने का अनुरोध किया गया था.
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