
Sirathu Assembly Election Results 2022: सिराथू में रोमांचक मुकाबले में सपा उम्मीदवार से हारे यूपी के डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य | Result Update
Sirathu Vidhan Sabha Chunav Parinam 2022: Sirathu Vidhan Sabha Chunav Parinam 2022: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं. रोमांचक मुकाबले में सपा प्रत्याशी पल्लवी पटेल ने केशव प्रसाद मौर्य को शिकस्त दी.

Sirathu Assembly Election Results 2022: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं. रोमांचक मुकाबले में सपा प्रत्याशी पल्लवी पटेल ने केशव प्रसाद मौर्य को शिकस्त दी. चुनाव आयोग के मुताबिक सपा प्रत्याशी को 1,06, 278 वोट मिले जबकि डिप्टी सीएम को 98,941 मत प्राप्त हुए. मालूम हो कि 10 फरवरी से 7 मार्च तक हुए चुनाव के दौरान सिराथू (Sirathu Result Update) में 5वें चरण में 27 फरवरी को वोट डाले गए थे. सिराथू केशव प्रसाद मौर्य की जन्मस्थली भी है और 2012 में वह इस सीट से विधायक बने थे. सिराथू सीट पर BSP का दबदबा रहा है, लेकिन फिलहाल यह सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास थी.
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सिराथू ऐसा क्षेत्र है, जहां बसपा का बोलबाला रहा है. ये कभी बसपा का गढ़ हुआ करता था. 2012 से पहले ये अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी. साल 1993 से 2007 तक यहां लगातार बसपा ने जीत हासिल की. 2012 से पहले यहां बीजेपी और सपा ने कभी जीत दर्ज नहीं की थी. 2012 में विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन के चलते ये सीट सामान्य हो गई. 2012 में BJP ने केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya Seat Result) को टिकट दिया. उन्होंने पहली बार में ही वो कर दिखाया, जो बीजेपी की तरफ से कोई नहीं कर पाया.
केशव प्रसाद मौर्य ने 2012 में भले ही बीजेपी को यहां से पहली बार जिताया था, लेकिन इस बार उनकी डगर आसान नहीं लग रही है. सिराथू में पटेल कुर्मी वोटर बड़ी संख्या में हैं. जातीय समीकरणों को साधते हुए विपक्षी दलों ने मजबूत घेराबंदी की है. समाजवादी पार्टी ने बड़ा दांव चलते हुए पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) को प्रत्याशी बनाया है. पल्लवी पटेल मोदी सरकार में मंत्री और अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल की छोटी बहन हैं. वहीं, बसपा ने संतोष त्रिपाठी (Santosh Tripathi) को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस और बसपा भी मैदान में पूरी ताकत से हैं. विपक्षी दलों के इस कदम के बाद केशव प्रसाद मौर्य की राहें आसान नहीं हैं.
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