
UP Election 2022: चुनावी गहमागहमी के बीच भी पीलीभीत नहीं गए वरुण गांधी, गैरमौजूदगी से उठे कई सवाल
उत्तर प्रदेश में 23 फरवरी को होने वाले चौथे चरण के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पीलीभीत क्षेत्र में अपने कद्दावर नेता वरुण गांधी (Varun Gandhi) की अनुपस्थिति को लेकर काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में 23 फरवरी को होने वाले चौथे चरण के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पीलीभीत क्षेत्र में अपने कद्दावर नेता वरुण गांधी (Varun Gandhi) की अनुपस्थिति को लेकर काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. इस क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं और यह पूरा क्षेत्र सिख बहुल है. वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी (Maneka Gandhi) की इस क्षेत्र में जोरदार पैठ है और दोनों ही यहां से भारी मतों के अंतर से जीते थे. मेनका गांधी को वर्ष 2014 और वरुण गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव में पांच-पांच लाख से अधिक वोट मिले थे. हालांकि किसान आंदोलन से जुड़े सवाल उठाने के बाद भाजपा ने वरुण गांधी को स्टार प्रचारकों की सूची से हटा दिया था.
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वरुण गांधी अपनी अनुपस्थिति के बारे में कहते हैं “मैं कोविड के डेल्टा वेरिएंट से पीड़ित था और अभी भी ठीक नहीं हुआ हूं. पूरी तरह ठीक होने के बाद मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में पहुंचूंगा.” इस बीच उनके एक करीबी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “हर किसी को अपना वोट डालने की आजादी है, लेकिन पीलीभीत में बड़ी संख्या में समर्थक विधानसभा चुनाव के समय वरुण गांधी के आह्वान पर ध्यान देते हैं. मगर इस बार उनकी तरफ से कोई संदेश नहीं आया है.”
यह पूछे जाने पर कि क्या वरुण गांधी या उनकी मां की अनुपस्थिति से चुनाव पर असर पड़ेगा तो जिले के सभी चार भाजपा उम्मीदवारों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह दावा किया कि उनकी पार्टी सभी चार सीटों पर मजबूत स्थिति में है. इस बीच पीलीभीत शहर से सपा उम्मीदवार डॉ. शैलेंद्र गंगवार ने कहा,”एक शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी की चुप्पी उसके सामने वाले उम्मीदवारों को अप्रत्यक्ष समर्थन से कम नहीं है. निश्चित रूप से यह हमारी मदद करेगा.”
पीलीभीत शहर, बरखेड़ा और पूरनपुर सीटों पर भाजपा का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी से है. बीसलपुर में भाजपा, बसपा और सपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. भाजपा ने 2017 में यहां सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की थी. सपा ने 2012 में पांच में से चार सीटों पर कब्जा कर लिया था जबकि भाजपा केवल एक ही सीट जीत सकी थी.
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