
अस्थमा और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस में ये है बड़ा अंतर, जानें लक्षण और उपाय
यह बीमारी आमतौर पर चालीस साल के बाद होती है. COPD के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे स्मोकिंग न करें.
अस्थमा और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस में क्या अंतर है? इस सवाल के जवाब में डॉ. देश दीपक ने बताया कि ब्रोंकाइटिस और अस्थमा एक दूसरे से एकदम अलग है. उचित इलाज से अस्थमा ठीक हो सकता है. वहीं क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस यानी सीओपीडी में लगातार इलाज की जरूरत होती है. यह बीमारी आमतौर पर चालीस साल के बाद होती है. COPD के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे स्मोकिंग न करें. ब्रोंकाइटिस में बलगम ज्यादा आता है. लगातार बलगम आता है. सर्दियों में यह और बढ़ जाता है. इसमें स्मोकिंग बंद करने से काफी फायदा होता है. दूसरी तरफ, अस्थमा छोटे से लेकर बुजुर्ग किसी को भी हो सकता है. वहीं अगर प्रदूषण और धुआं हो तो इंसान इसकी चपेट में जल्दी आ जाता है.
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इनका कोई स्थायी इलाज है या फिर इसके लिए हमेशा दवा खाने की जरूरत होती है? इस सवाल के जवाब में डॉ. दीपक ने कहा एक ही समय में इन दोनों बीमारियों से कोई व्यक्ति ग्रसित नहीं हो सकता. यह एक मिथक है. क्योंकि इन दोनों बीमारियों का लक्षण तो एक ही है. इन दोनों ही बीमारियों में सांस फूलता है. हमारे शरीर में ऑक्सीजन जाने का जो चैनल है वह पतला हो जाता है. इलाज के दौरान बायोप्सी टेस्ट से पता चलता है कि हमें क्या रणनीति अपनानी होगी. इसके बाद पीएफटी करते हैं. इसमें हम मरीज को दवा देते हैं. अगर वह दवा लेने से ठीक हो जाता है तो उसमें अस्थमा होने की संभावना ज्यादा होती है. अगर दवा देने से कोई फर्क नहीं पड़ता है तो वो COPD होती है.
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