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यहां होली पर होती है आत्माओं की पूजा, 12 दिन बाद खेलते हैं धूलंडी

Published: March 17, 2022 6:52 PM IST

By Nikhil Khattar | Edited by Video Desk

आदिवासी बाहुल्य प्रतापगढ़ जिले में आदिवासी समुदाय आज भी 100 साल पुरानी परंपरा का निर्वाह करते है. वे होली के अगले दिन धुलंडी पर रंग नहीं खेलते.


Dhulandi 2022: देशभर में होली के अगले दिन रंगों का पर्व धुलंडी (Dhulandi) मनाया जाता है. लेकिन आदिवासी बाहुल्य प्रतापगढ़ जिले (Pratapgarh district) में आदिवासी समुदाय आज भी 100 साल पुरानी परंपरा का निर्वाह करते है. वे होली के अगले दिन धुलंडी (dhulandi festival) पर रंग नहीं खेलते. पूर्व राजघराने (dhulandi celebration) में शोक के कारण होली के 12 दिन बाद रंग तेरस पर रंगों का पर्व मनाया जाता है. जिले भर में होली पर लोक परंपरा के अनुसार गेर नृत्य होते हैं. इसके साथ ही गुलाल और फूलों (flower holi) से होली खेली (gulal) जाती है. बारावरदा क्षेत्र में होली के अगले दिन गेर खेलकर होली के सात फेरे लगाए जाते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि होली के सात फेरे लेने से साल भर तक व्यक्ति बीमार नहीं होता है. साथ ही, खेतों में फसलें लहलहाती रहती है. वीडियो में इस खबर के बारे विस्तार से जानें.

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